दमोह। कलेक्टर तरुण राठी के निर्देश पर एसडीएम अदिति यादव ने नगर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के समन्वय से पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों और जनसाहस संस्था के साथ मिलकर गठित की गई एक टीम ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिला अंतर्गत ग्राम बंदुर से ठेकेदारों के चंगुल से जिले के 5 बच्चों सहित 14 बंधक मजदूरों को छुड़ाकर लाने में सफलता प्राप्त की है। टीम में लेबर इंस्पेक्टर धर्मेन्द्र नरवरिया, प्रधान आरक्षक दीपक करोसिया, आरक्षक छोटू चौहान, जनसाहस टीम में डिस्ट्रिक को-आडिनेटर कमल बैरागी, आरओ मुकेश नवीन, एडवोकेट सूरज अहिरवार शामिल थे।
जिला बंधक समिति के नोडल एवं लेवर इंस्पेक्टर धर्मेन्द्र नरवरिया ने बुधवार को बताया कि मजदूरों के परिवारों की शिकायत पर कलेक्टर तरुण राठी द्वारा कोल्हापुर के कलेक्टर को पत्र लिखा गया था। शिकायत में बताया गया कि बंधक मजदूरों के साथ मारपीट, जबरदस्ती काम, कहीं आने जाने नहीं दिया जाता है, कुछ लोगों की तबियत भी खराब हो गई है। गठित टीम द्वारा मजदूरों को छुड़ाने की कार्यवाही की गई और जिला कोल्हापुर बंदुर ग्राम के ठेकेदारों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
उन्होंने बताया कि हम कोल्हापुर गये, वहां के प्रशासन ने पूरा सहयोग किया, गांव गये मजदूर बंधक पाये गये, मजदूरों की दयनीय स्थिति थी, मजदूर बहुत ही डरे और सहमे हुये थे, मजदूरी का कोई समय निश्चित नहीं था। ठेकेदारों द्वारा मजदूरों से मारपीट की जा रही थी। उन मजदूरों को श्रम विभाग की टीम दमोह लेकर आई है। इन मजदूरों में 8 पुरुष, 6 महिलाएं और 5 बच्चे शामिल है। इनमें दीपक अहिरवार, मोतीलाल अहिरवार, भगवत अहिरवार, अमर अहिरवार, राजा अहिरवार, वीरू अहिरवार, काशीराम अहिरवार और भागीरथ अहिरवार तथा महिलाओं में कुसुम मोतीलाल अहिरवार, गीता अहिरवार, रेशमा अहिरवार, तुलसा अहिरवार, लीला अहिरवार, कविता अहिरवार मजदूरी का कार्य करते थे। वहां पर मुख्य आरोपित ठेकेदार बाबा सैयद के खिलाफ 08 धाराओं के अंतर्गत एफआईआर कराई गई है। इसके साथ ही मजदूरों को तात्कालीन सहायता 20 हजार रुपये वहां पर उपलब्ध करवाया है, जो मजदूरों के खातों में आयेगी, साथ ही आवागमन का पैसा वहां की सरकार वहन करेगी।
मजदूर भागीरथ अहिरवार ने बताया कि वहां पर 14 से 15 घंटे काम करवाते थे, 45 दिन तक काम किया हमें एक पैसा नही दिया, वहां ना खाने को देते थे, ना कोई मूलभूत सुविधा थी, वहां हम रात 12 बजे तक काम करते थे और सुबह 3 बजे तक फिर काम पर चले जाते थे, काम ना करने पर मारते थे। हमारे साथ की महिलाओं को भी मारते थे। हमने वहां से फोन पर शिकायत की फिर हमें छुड़ाया गया। हमें वहां पर गन्ने कटवाते थे, मजदूरी नही देते थे, ठेकेदार से पूछने पर वह मारता था, नासिक से 2 आदमी आये थे की काम करना हैं, गाडी में हम गये यहा कुछ ओर काम बोलकर ले गये, वहां कुछ और काम करवाने लगे थे, जो हमें लेकर गया था वह ठेकेदार से पैसे लेकर चला गया था, गन्ने काटते थे तो भी मारता था।
अब सभी मजदूर सकुशल अपने घर को आ गये हैं, इन मजदूरों ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन जनसाहस टीम सहित उन सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया है, जिन्होंने इन्हें खाने पीने की व्यवस्था की और दमोह तक लेकर आई।