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केएफ रुस्तमजी जन्मशताब्दी समारोह में प्रकाश सिंह ने दी नसीहत
थाने में खुल्लम-खुल्ला पैसों का लेनदेन चलता है। ऊपर के अधिकारी इतना तो सुनिश्चित कर सकते हैं कि ऐसा न हो। फिर चाहे इसके लिए तकनीक की सहायता लें या फिर कड़े फैसले लें। यह बात उत्तरप्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कही। वे पुलिस मुख्यालय में गुरुवार को केएफ रुस्तमजी जन्मशताब्दी समारोह 2016-2017 के तहत आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे।
पुलिस रिफॉर्म को लेकर उन्होंने कहा कि इनमें कुछ सरकार की ओर से अपेक्षित है तो कुछ पुलिस के लीडर्स को करना है। वे बोले आज भी लोगों केा थाने जाने से डर लगता है, जिसे खत्म करना होगा। पुलिस सुधार पुलिस की शान बढ़ाने के लिए नहीं, प्रशासन में सुधार और कार्य को सशक्त बनाने के लिए जरुरी है। कार्यक्रम में डीजीपी ऋषि शुक्ला ने प्रकाश सिंह का स्वागत किया। इस अवसर पर पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सिंह ने पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जाट आंदोलन में पुलिस भाग गई थी, 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। जबकि मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले में भी कई खामियां उजागर हुई थीं। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे व्यवस्था सुधरेगी। इसके लिए लीडरशिप को आगे आना होगा।
सिंह ने कहा कि आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद सहित अन्य राष्ट्र विरोधी अपराधों को फेडरेल क्राइम घोषित किया जाए और एनआईए जैसी संस्थाओं को जांच और विवेचना हो। सिंह बोले जब संविधान बन रहा था, तब इस बात का अंदाजा नहीं था। पुलिस को स्टेट सब्जेक्ट बनाया गया, लेकिन आज अपराध के स्वरूप भी बदले हैं और दायरा भी, जिसे अकेला राज्य नहीं संभाल सकता।
मप्र के पूर्व डीजी एमएल जैन ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के इतने पद बनते जा रहे हैं कि व्यवस्था खराब हो रही है। मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि आज पुलिस मुख्यालय में 46 एडीजी है ऐसे में हर एक को महत्व नहीं दिया जा सकता है। इस पर सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा यह तो अधिकारियों को खुद सोचना होगा कि उन्हें प्रमोशन चाहिए या पुलिस की इफेक्टिनेस। सभी को आगे बढ़ना है। झंडे और स्टार लगवाने हैं। ऐसे में हमारा कम होता प्रभाव कैसे बढ़े, यह भी तो सोचना होगा।
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