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पटना । राजधानी पटना में रविवार को सनातन महाकुंभ का आयोजन किया गया। इस मौके पर रामभद्राचार्य ने कहा कि हिन्दुओं को जो बांटेगा वो खुद कट जाएगा। इस सनातन महाकुंभ में देश भर के संत शामिल हो रहे हैं। जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि पटना के गांधी मैदान में मुझे और धीरेंद्र शास्त्री को आने से रोका गया। उन्होंने कहा कि सत्ता अब हिंदू विरोधी के हाथ में कभी नहीं जाएगी। हिंदू को जो बांटना चाहेगा वो खुद ही कट जाएगा। इस सनातन महाकुंभ में बागेश्वर पीठाधीश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हम यहां राजनीति के लिए नहीं बल्कि राम नीति के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अगर हिंदू राष्ट्र होगा तो बिहार से इसकी शुरुआत होगी और वह पहला राज्य बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं। वो बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे। साथ ही 7 नवम्बर से 16 नवम्बर तक दिल्ली से वृंदावन की यात्रा करेंगे। पटना में आयोजित महाकुंभ में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “बिहार से ही भारत के हिंदू राष्ट्र बनने की शुरुआत होगी। अगर हमारे धर्म पर घात हुआ तो हम प्रतिघात करेंगे, भगवा गजवा-ए-हिंद की शुरुआत बिहार से होगी। उन्होंने कहा कि कुछ लाेग तिरंगा पर चांद चाहते हैं लेकिन हम तिरंगा को चांद पर लहराता देखना चाहते हें। यह भव्य आयोजन भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। इस महाकुंभ में धार्मिक प्रवचन और भजन-संध्या के साथ- साथ संत समागम, हवन-पूजन और वैदिक मंत्रोच्चार भी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित गांधी मैदान में सनातन महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन किया जा रहा है। पहली बार इस महाकुंभ का आयोजन पटना में हो रहा है। इसमें बड़ी संख्या में देशभर के संत-महात्मा, जगद्गुरु और महामंडलेश्वर शामिल हुए।
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(प्रवीण कक्कड़) नया स्कूल सत्र शुरू हो चुका है, और एक बार फिर स्कूल के गलियारों में बच्चों की हंसी गूँज रही है। यह केवल एक नया अकादमिक वर्ष नहीं, बल्कि लाखों उम्मीदों और सपनों का आगाज़ है। शिक्षा वह सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिससे हम दुनिया को बदल सकते हैं। यह हर बच्चे का अधिकार है, और हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस अधिकार को हकीकत में बदलें। शिक्षा एक बच्चे के भविष्य की नींव होती है। यह उसे ज्ञान, कौशल और सोचने-समझने की शक्ति देती है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, भारत के स्कूलों में कुल 24.8 करोड़ छात्र नामांकित हैं। यह जानकर खुशी होती है कि शिक्षा तक पहुंच में काफी वृद्धि हुई है। 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए समग्र स्कूल नामांकन दर लगभग 20 वर्षों से 95% से अधिक बनी हुई है, और 2024 में यह 98.1% थी। हालांकि, अभी भी एक लंबी दूरी तय करनी है। UDISE+ 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, 6-17 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 4.74 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हैं। यह संख्या बताती है कि बड़ी संख्या में बच्चे या तो कभी स्कूल में नामांकित नहीं हुए, या बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर 1.9% है, जबकि उच्च प्राथमिक में यह 5.2% और माध्यमिक स्तर पर 14.1% तक पहुँच जाती है। यह आँकड़ा हम सभी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कदम है जो यह सुनिश्चित करता है कि 6 से 14 साल के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिले। इसका मतलब है कि किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित रखना कानूनी रूप से गलत है। सरकारी स्कूलों में तो शिक्षा, किताबें, ड्रेस और मध्याह्न भोजन मुफ्त मिलता ही है, साथ ही निजी स्कूलों में भी 25% सीटें आरटीई (RTE) के तहत आरक्षित हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो, स्कूल की दहलीज तक पहुंचे और अपनी पढ़ाई पूरी करे। हमें अपने समाज के उन बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो किसी कारणवश स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। अक्सर हम अपने आस-पास काम करने वाले लोगों, जैसे चौकीदार, माली, कामवाली बाई या रसोइया के बच्चों की शिक्षा के बारे में नहीं सोचते। यह हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व है कि हम उनके बच्चों को स्कूल पहुंचाने में मदद करें। आप उनसे बात करें, उन्हें आरटीई के तहत निजी स्कूलों में मिलने वाले मुफ्त प्रवेश के बारे में जानकारी दें, और यदि संभव न हो तो सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने में सहायता करें। यदि उन्हें किताबें, कॉपियाँ, स्कूल ड्रेस या स्टेशनरी खरीदने में आर्थिक मदद की जरूरत है, तो इसमें भी उनका सहयोग करें। आपका यह छोटा सा प्रयास देश के भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखेगा। हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाना सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का साझा लक्ष्य होना चाहिए। जब हर बच्चा स्कूल जाएगा, तभी एक शिक्षित और सशक्त समाज का निर्माण होगा। बच्चों को स्कूल भेजना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है कि उन्हें वहां बेहतर माहौल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। आज भी कई स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाओं की कमी है। यह चिंताजनक है कि प्रदेश के 21,077 स्कूल महज एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, और शिक्षकों के 87,630 पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर डालता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे स्कूल सिर्फ इमारतें न हों, बल्कि ज्ञान और नवाचार के केंद्र बनें। शिक्षकों की पर्याप्त संख्या हो, उन्हें उचित प्रशिक्षण मिले और उन्हें ऐसे संसाधन उपलब्ध कराए जाएं जिससे वे बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें। स्कूलों में शौचालय, पीने का पानी और सुरक्षित वातावरण जैसी बुनियादी सुविधाओं का होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब स्कूलों की स्थिति बेहतर होगी, तभी बच्चे न केवल स्कूल आने के लिए प्रेरित होंगे, बल्कि वहां रहकर कुछ नया सीख भी पाएंगे। शिक्षा : सबकी साझा जिम्मेदारी समाज क्या करे: अपने आस-पड़ोस में स्कूल न जाने वाले बच्चों की पहचान करें और उन्हें दाखिला लेने में मदद करें। अभिभावक क्या करें: बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें और उनकी पढ़ाई में रुचि जगाएं। बच्चों को समझाएं कि शिक्षा के माध्यम से ही सशक्तिकरण की राह तक पहुंचा जा सकता है। बच्चे क्या करें: मन लगाकर पढ़ाई करें, स्कूल के नियमों का पालन करें और शिक्षकों का सम्मान करें। शिक्षक क्या करें: बच्चों को प्यार और लगन से पढ़ाएं, उनकी समस्याओं को समझें और उन्हें प्रेरित करें। प्रशासन क्या करे: स्कूलों में पर्याप्त सुविधाएं और शिक्षक उपलब्ध कराएं, शिक्षा की गुणवत्ता पर निगरानी रखें और बाल श्रम पर कड़ा कदम लेकर हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाए। शिक्षा सिर्फ एक डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है जो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सके। रचनात्मक सोच, समस्या-समाधान की क्षमता, सहानुभूति और नैतिकता जैसे गुणों का विकास ही सच्ची शिक्षा है। हमारा स्कूली बस्ता सिर्फ भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रतीक है जो हमें याद दिलाता है कि शिक्षा एक निरंतर यात्रा है, जो न सिर्फ व्यक्ति बल्कि पूरे समाज को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाती है। आइए, हम सब मिलकर बच्चों के इस \"सपनों के पिटारे\" को और अधिक समृद्ध बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा शिक्षा के प्रकाश से वंचित न रहे।
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सीहोर । कुबेरेश्वर धाम पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं शिव महापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। इस महोत्सव के पहले ही दिन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिव महापुराण की कथा का श्रवण करने के लिए पहुंचे। गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत पांच दिवसीय शिव महापुराण के पहले दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव को अपना गुरु बनाओ और उस पर भरोसा और विश्वास कर अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है। एक लोटा जल शिव तत्व का अर्पण परिवार के सदस्य को पाप से मुक्त करता है, पुण्य लाभ प्रदान कराता है। जीवन की हर परीक्षा में सफल होने का मूलमंत्र यह है कि आप किसी को हराने के लिए कोई काम न करें। महादेव को समर्पित कर आगे बढ़ने के लिए परीक्षा का सामना करें। आपका व्यवहार, प्रेम, वात्सल्यता, धर्म कर्म ही जीवन को सम्पूर्ण करेगा। कोई व्यक्ति अगर आपको मंदिर शिवालय जाने, शिव तत्व अर्पित करने, भक्ति भजन हेतु प्रेरित करता है तो समझिए भगवान शिव की इच्छा से प्रेरणा प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि भगवान आपकी परीक्षा पल-पल पर लेता है। कथा के आरंभ होने के साथ ही बारिश की शुरूआत हो गई, बारिश के बाद भी भक्त पूरे उत्साह के साथ भगवान की अविरल भक्ति में मग्र है, यह आपकी आस्था है। महोत्सव में हजारों की संख्या में शिव भक्ताओं के आने का सिलसिला जारी है। पंडित मिश्रा ने कहाकि गुरु और कथा का एक ही काम है आपको भगवान से जोड़कर रखे, आपको सद्मार्ग की ओर अग्रेषित करे। एक गुरु की प्रेरणा से शिष्य का जीवन सफल हो जाता है, वहीं कथा में आकर सच्चे मन से भावपूर्ण तरीके से कथा का श्रवण करने से हमारे जीवन की दिशा ही बदल जाती है। कथा के माध्यम से भगवान शिव की प्राप्ति करने के लक्ष्य से कथा का श्रवण करें। उन्होंने भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन करते हुए उनके स्वभाव का वर्णन किया एवं देवराज ब्राह्मण का उल्लेख करते हुए कहाकि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी जिस प्रकार से अपने धर्म से च्युत होकर अधर्म मार्ग का अनुसरण किया, लेकिन शिव महापुराण की कथा ने उसके जीवन की दिशा बदल दी। एक छोटा सा जीवन है मनुष्य का उस जीवन में हम कैसे भक्ति साधना कर सकते हैं जीवन को भक्तिपूर्ण बना सकते हैं ये शिवपुराण कथा बताती है। जैसे-जैसे ईश्वर की भक्ति में डूबते जाओगे तब जीवन के आनंद की अनुभूति होगी। शिवमहापुराण पुण्य का अर्जन है। शिवपुराण का पाठ करने से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है। यह आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। प्रशासन द्वारा सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं सभी व्यवस्थाएं कलेक्टर बालागुरू के. के निर्देशानुसार कुबेरेश्वर धाम पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं शिव महापुराण कथा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए न केवल सभी आवश्यक व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं, बल्कि इन व्यवस्थाओं का सुचारू रूप से संचालन भी किया जा रहा है। श्रद्धालुओं को कुबेरेश्वर धाम तक आवागमन, पेयजल, पार्किंग, चिकित्सा सुविधा एवं अन्य सहायता के लिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है। सड़क पर यातायात सामान्य गति से चल रहा है। जिन अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है वे सभी सेवाभाव और पूरी मुस्तेदी से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। कलेक्टर बालागुरू के. तथा एसपी दीपक कुमार शुक्ला व्यवस्थाओं की सतत मॉनिटरिंग भी की जा रही है। व्यवस्थाओं के लिए लगाई गई है अधिकारियों की ड्यूटी कलेक्टर द्वारा कार्यक्रम की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेशानुसार एसडीएम तन्मय वर्मा को संपूर्ण व्यवस्था का प्रभारी बनाया गया है। इसी प्रकार संयुक्त कलेक्टर आनंद सिंह राजावत, डिप्टी कलेक्टर सुधीर कुशवाह सहित अन्य अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। इसके साथ ही कलेक्टर ने जनपद सीईओ, बिजली कंपनी के अधीक्षण यंत्री, सीएमएचओ, सिविल सर्जन, नगर पालिका सीएमओ, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री सहित अन्य विभागों को अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कार्यक्रम स्थल पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर प्रभावी रूप से संचालित की जाएं।
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भोपाल । मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि \"संभावना\" का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रविवार को कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य एवं लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा की प्रस्तुति दी गई।गतिविधि में कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। अहिराई नृत्य अहीर समुदाय द्वारा किया जाने वाला पुरुष प्रधान नृत्य है। दीपावली के दूसरे दिन यदुवंशी अहीर जाति के लोग अपने घर में गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। इसी दौरान पुरुष अपने अस्त्र-शस्त्र लाठी, फरसे आदि की पूजा करते हैं। नृत्य के दौरान दोहे, कहावतों की लम्बी टेर लगाकर गाते हैं और नर्तक दल प संचालन के साथ नृत्य की शुरूआत करते हैं।वहीं, लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा की प्रस्तुति दी गई। गोण्ड की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ गीतों की धुनों पर वादन एवं नर्तन किया जाता है। विशेषकर विवाह एवं आनुष्ठानिक अवसरों पर इस नृत्य के कलाकारों अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं।गौरतलब है कि मप्र जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रत्येक रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्य प्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति दी जाती है। जिसमें प्रदेश के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कला रूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होता है।
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राजगढ़ । देश में एक साथ चुनाव होने से लाखों-करोड़ों रुपए की बचत होगी जो विकास कार्यों के काम में आएंेगे, इससे जनता को फायदा मिलेगा। आजादी के बाद से ही चुनाव एक साथ होते थे,पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वार्थवश चुनी हुई सरकार को गिराने का कार्य किया तभी से हर समय चुनाव कार्य हो रहे है। यह बात इंदौर महापौर पुष्पमित्र भार्गव ने शनिवार देर रात पचोर नगर के उत्सव वाटिका में भारतीय जनता पार्टी द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर आयोजित संगोष्ठि में मुख्यवक्ता के तौर पर कही। उन्होंने कहा कि बार बार चुनाव होने से धन की बर्बादी होती है। पहले समय में चुनाव एक साथ होते थे, आपातकाल के बाद चुनाव अलग-अलग होने लगे है, अलग-अलग चुनाव होने के कारण जनप्रतिनिधि व अधिकारी अपने कार्य समय पर नही कर पाते है, इसका असर विकास कार्यों पर पड़ता है। देश में एक साथ चुनाव होने चाहिए, यह बात हम सभी को मिलकर घर-घर पहुंचाना होगा।एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए पहले विधानसभा में प्रस्ताव पास होगा फिर लोकसभा व राज्यसभा में प्रस्ताव पास किया जाएगा। इस कार्य का विपक्ष पुरजोर से विरोध कर रही है, विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से डर लग रहा है कि अगर देश में एक साथ चुनाव होंगे तो भाजपा की ही सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि अलग-अलग चुनाव होने से प्रशासन और आमजन का कामकाज प्रभावित होता है। पिछले पांच वर्षोें में चुनावों पर 6.5 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए यदि एक चुनाव होता तो यह खर्च डेढ़ लाख करोड़ तक सीमित हो सकता था। इस मौके पर सांसद रोडमल नागर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में देश में किए जा रहे विकास कार्यों के बारे में चर्चा की। राज्यमंत्री गौतम टेटवाल ने कहा कि देश में बार-बार चुनाव होने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए एक साथ चुनाव होना चाहिए। राज्यमंत्री नारायणसिंह पंवार ने कहा कि इंदिरा गांधी के शासन में राजनीतिक स्वार्थ के चलते यह व्यवस्था समाप्त की गई। कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष ज्ञानसिंह गुर्जर, विधायक मोहन शर्मा, अमरसिंह यादव, हजारीलाल दांगी, नगर पंचायत अध्यक्ष विकास करोड़िया, पूर्व विधायक बद्रीलाल यादव, हनुमानप्रसाद गर्ग, पूर्व जिला अध्यक्ष दिलवर यादव, दीपेन्द्रसिंह चैहान, दीपक शर्मा, मोना सुस्तानी, जिला महामंत्री अमित शर्मा सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्वजन, युवा, महिलाएं सहित पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जगदीश नागर एवं आभार विकास करोड़िया ने व्यक्त किया।
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भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्नेह का बंधन एकतरफा नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार हर पल वनवासियों के साथ खड़ी है, यह बात पूरी शिद्दत से उन तक पहुंचनी चाहिए। सभी वनवासियों को सरकार की योजनाओं से जोड़ें और उनके जीवन में विकास का प्रकाश लाने की दिशा में काम करें। वनवासियों के कल्याण के लिए हरसंभव प्रबंध किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय वर्ग के अध्ययनरत एवं रोजगार कर रहे बच्चों का सामाजिक सम्मेलन बुलाएं। इस सम्मेलन के जरिए सरकार इन बच्चों को उन तक पहुंचने वाले लाभ का फीड-बैक भी लेगी और जिन्हें जरूरत है, उन तक सरकार की योजनाएं तथा सुविधाएं भी पहुंचाई जाएंगी।मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट के क्रियान्वयन के लिए गठित की गई राज्य-स्तरीय टास्क फोर्स की शीर्ष समिति तथा इसी विषय के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जनजातीय कार्य एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को वनाधिकार के व्यक्तिगत और सामुदायिक दावों का तेजी से निराकरण कर 31 दिसंबर 2025 तक पेंडेसी जीरो करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में पेसा एक्ट यानि पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 लागू है। इसमें पेसा मोबालाईजर्स के जरिए जनजातियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देकर योजनाओं से लाभान्वित भी कराया जाता है। इन सभी पेसा मोबालाईजर्स की अपने काम पर उपस्थिति और उच्च कोटि का कार्य प्रदर्शन फील्ड में दिखाई भी देना चाहिए।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पेसा मोबालाईजर्स को नियुक्त करने और संतोषजनक प्रदर्शन न करने पर इन्हें हटाने के अधिकार सरकार अब ग्राम सभाओं को देने जा रही है। इस निर्णय से एकरूपता आएगी और ग्राम सभाएं पेसा मोबालाईजर्स से अपने मुताबिक काम भी ले सकेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वनवासियों की बेहतरी के लिए संकल्पित है। उनके सभी हितों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि वन विभाग का मैदानी अमला यह सुनिश्चित करे कि वन भूमि पर अब कोई भी नये अतिक्रमण कदापि न होने पाएं।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम के सुचारू क्रियान्वयन के लिए महाराष्ट्र सरकार के 'जलयुक्त शिविर' अभियान की तरह समन्वय पर आधारित मॉडल मध्य प्रदेश में भी अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों द्वारा इस अधिनियम के अमल के लिए की जा रही कार्यवाही के सभी पहलुओं का अध्ययन कर लें और जो सबसे उपयुक्त है उसी मॉडल पर आगे बढ़ें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों के विकास के लिए विधायकों द्वारा विजन डॉक्यूमेंट बनाया गया है। वनाधिकार अधिनियम और पेसा कानून के अमल के लिए समुचित प्रावधान भी इसी विजन डॉक्यूमेंट में शामिल कर लिए जाएं।बैठक में समिति के सदस्य एवं पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम के प्रभावी अमल के लिए बालाघाट जिले में पुलिस विभाग द्वारा सभी पुलिस चौकियों में एकल सुविधा केन्द्र स्थापित कर इसके जरिए कैम्प लगाकर जनजातियों को लाभान्वित किया जा रहा है। अब तक 450 वनाधिकार दावे भरवाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी 88 जनजातीय विकासखंडों वाले जिलों के कलेक्टर को बालाघाट मॉडल भेजकर इसी अनुरूप कार्यवाही करने के लिए कहा जाए।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र के सभी गांवों के विकास के लिए प्रस्ताव दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह कार्य एक्शन प्लान बनाकर किया जाए। उन्होंने कहा कि 31 दिसम्बर 2025 तक सभी गांवों के दावे प्राप्त कर लें और इसी दौरान इनका निराकरण भी कर लें। वन अधिकारियों की ट्रेनिंग का काम 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई तकनीकी परेशानी आ रही है तो इसके लिए वन और जनजातीय कार्य विभाग मिलकर एक नया पोर्टल भी विकसित कर लें।वनांचल विकास केन्द्र को करें और अधिक सक्रियडॉ. यादव ने कहा कि जनजातियों के पारम्परिक ज्ञान को उनके विकास के लिए बनाई जा रही नीति निर्माण में भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं को और भी सशक्त बनाने, सामुदायिक वन संसाधनों के समुचित प्रबंधन, जैव विविधता के संरक्षण और वन एवं वनोपज संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के लिए वन व वनांचल विकास केन्द्रों को और अधिक भी सक्रिय कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि ये केंद्र वन अनुसंधान, प्रशिक्षण, मार्केट लिंकेज और कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व-सीएसआर/कैम्पा जैसे वित्त स्रोतों के समन्वय में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी अदा करें।सामुदायिक आजीविका पर करें फोकसमुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आजीविका सबसे पहली जरूरत होती है। सामुदायिक आजीविका के साधनों पर फोकस कर जनजातियों की नकद आय के साधन बढ़ाने की दिशा में उन्हें दुग्ध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्हें शासन की योजना के तहत अधिक से अधिक दुधारू पशु (मुख्यत: गाय, भैंस) उपलब्ध कराए जाएं। इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि जनजातियों को कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग की रोजगारमूलक योजनाओं से भी जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि चूंकि वनवासी वनोपजों पर विशेष रूप से आश्रित रहते हैं। इसलिए लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन गतिविधियों में जनजातीय समुदायों को लाभ का बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए,इससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातियों द्वारा उत्पादित श्रीअन्न के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए। श्रीअन्न से बिस्किट, कुकीज, खीर और हलवा जैसे उत्पाद तैयार कर इन्हें खुले बाजार में बेचने के लिए जनजातियों को मार्केट लिंकेज प्रदान करें। वन अधिकार अधिनियम, पेसा, बीडीए जैसे सभी कानूनों को एकीकृत रूप से ग्रामसभा स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा भी अपनी बात तथ्यात्मक रूप से रखी गई और वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के फील्ड में बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपने-अपने सुझाव दिए गए।अब तक 2.89 लाख से अधिक दावे मान्य किए गएबैठक में प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य ने बताया कि वर्ष 2008 से 2023 तक कुल 2 लाख 89 हजार 461 वनाधिकार दावे मान्य किए गए हैं। लंबित दावों के निराकरण केलिए कार्यवाही की जा रही है। वन मित्रा पोर्टल के अनुसार जिलों द्वारा पूर्व में मान्य किए गए दावों के सत्यापन के उपरांत अपात्र पाए गए हितग्राहियों के वनाधिकार दावे अमान्य किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुन: परीक्षण के लिए 87 हजार 283 और एक लाख 86 हजार 224 नए प्राप्त दावे इस प्रकार कुल 2 लाख 73 हजार 457 दावे अभी लंबित स्थिति में है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के बड़वानी, धार, खरगोन, मंडला, बैतूल, छिंदवाड़ा, शहडोल, खंडवा, सिंगरौली, रायसेन, डिण्डौरी, अलीराजपुर, बुरहानपुर, सिवनी, उमरिया और बालाघाट जिले में 7-7 हजार से भी अधिक वनाधिकार दावे मान्य किए गए हैं।टास्क फोर्स की शीर्ष समिति की इस पहली बैठक में समिति उपाध्यक्ष तथा जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, समिति उपाध्यक्ष तथा वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार सहित अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित थे।
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टीकमगढ़ । मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के विजयपुर गांव में रविवार सुबह एक किसान का सिर और धड़ अलग अलग मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही चंदेरा थाना पुलिस बल माैके पर पहुंचा और जांच शुरू की । प्रारंभिक जांच में नरबलि की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल माैके पर पुलिस बल तैनात है। पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। जतारा एसडीओपी अभिषेक गौतम के मुताबिक, मृतक की पहचान 32 वर्षीय अखिलेश कुशवाहा के रूप में हुई है। घटना स्थल पर एक चबूतरा बना हुआ है, वहीं एक झंडा भी लगा मिला। झंडे के नीचे कटा हुआ सिर रखा मिला, जबकि थाेड़ी दूरी पर धड़ पड़ा हुआ था। रविवार दोपहर काे स्थानीय लोगों ने शव पड़ा देखा ताे पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। घटना की जानकारी फैलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। प्रारंभिक जांच में यह नरबलि का मामला लग रहा है। एसडीओपी के मुताबिक, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जतारा अस्पताल भेजा गया है। पूछताछ में पता चला है कि मृतक के पिता गोला कुशवाहा कैंसर से पीड़ित थे। रविवार सुबह करीब 4 बजे उनकी भी मौत हो गई। घर में मां भी है, जो मानसिक रूप से कमजोर बताई जा रही है। परिवार में दाे छाेटे भाई है। फिलहाल पूरे मामले में ग्रामीणों और परिजनों से पूछताछ की जा रही है।
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भोपाल । राजधानी भाेपाल के सूखी सेवनिया थाना क्षेत्र में एक युवक की शनिवार रात संदिग्ध परिस्थितियाें में माैत हाे गई।मुंह से झांग और उल्टियां हाेने पर परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे थे, जहां उपचार के दाैरान उसने दम ताेड़ दिया। मृतक के पिता ने तीन युवकों पर हत्या का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि बेटे ने आखिरी बार बातचीत में उन्हें तीन युवकों द्वारा पीटने, गलत काम करने और जबरन सल्फॉस की गोलियां खिलाने की बात कही थी। पुलिस ने मामले में फिलहाल मर्ग कायम किया है। रविवार दाेपहर काे पाेस्टमार्टम के बाद शव परिजनाें काे साैंप दिया गया।जानकारी के मुताबिक सलमान खान(23) पुत्र कल्लू खान निवासी ईटखेड़ी आम का कारोबार करता था। उसके पिता कल्लू के मुताबिक सलमान शनिवार शाम काे सूखी सेवनिया में आम की गाड़ी को खाली करने के बाद कैरेट रखने गया था। वहां से लौटते समय राजा नाम के युवक ने अपने दाे साथियाें के साथ सलमान काे सूखी सेवनिया पर ही रोक लिया और बिना कारण उसके साथ मारपीट कर दी। बेटा जान बचाने के लिए पास की एक दुकान में घुस गया। वहां उसके साथ मारपीट की गई। जबरन उसके मुंह में सल्फॉस की गोलियां ठूंस दीं और एक कॉलेज के पास छोड़कर भाग गए। बेटा किसी तरह अपनी बाइक से घर पहुंचा और अंदर आते ही गिर गया। उसके मुंह से झाग आ रहा था। पूछताछ करने पर उसने बताया कि राजा और उसके दो साथियों ने उसके साथ मारपीट की है। परिजनों ने बताया कि सलमान जब घर पहुंचा तो उसके पास मोबाइल फोन नहीं था। उसने आरोपियों द्वारा उसका मोबाइल फोन तोड़ने और वीडियो बनाने की बात भी कही थी। इस दाैरान उसे उल्टियां होने लगी तब परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। पिता का कहना है कि बेटे ने आखिरी बातचीत में यह भी बताया था कि राजा और उसके साथियों ने उसके साथ गलत किया है। मुंह दिखाने के लायक भी नहीं छोड़ा है। पिता का कहना है मेरे बेटे की हत्या की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपियों से उनकी कोई रंजिश नहीं है। बेटे ने अकारण हमले की बात कही थी।मामले की जांच कर रहे एसआई इंदल सिंह ने बताया कि मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू की है। परिजनों के कथन दर्ज किए गए हैं, रविवार दोपहर पीएम के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया गया है। जांच में आए तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे। वहीं पुलिस सूत्रों की माने तो घटना के बाद पुलिस ने दो संदेहियों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। हालांकि पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है कि मौत से पहले युवक के साथ क्या गलत काम हुआ और उसकी किस तरह की वीडियो बनाई गई है।
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