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सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम में बदलाव के फैसले के तुरंत बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने उसके मुताबिक ही इनवेस्टिगेशन शुरू कर दिया है। अब गिरफ्तारी के पहले सरकार या पुलिस अधीक्षक की अनुमति ली जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च के तीसरे सप्ताह में अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के मामले में फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद मप्र पुलिस मुख्यालय की अनुसूचित जाति कल्याण शाखा ने 28 मार्च को परिपत्र जारी किया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की लाइन देते हुए उनके पालन के निर्देश दिए गए।
शाखा की प्रभारी एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी जिलों की अनुसूचित जाति कल्याण थानों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी व्यक्ति को बिना अनुमति गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
अधिनियम के तहत लोक सेवक के खिलाफ दर्ज मामले में उसके नियोक्ता विभाग के प्रमुख से अनुमति लेकर ही गिरफ्तारी जा रही है तो आम आदमी के आरोपी होने पर पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं की जा रही है। यही नहीं जांच पूरी होने पर ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है। इसी तरह ऐसे मामलों में राजपत्रित पुलिस अधिकारियों से जांच कराई जा रही है और सात दिन में इनवेस्टिगेशन पूरा कराया जा रहा है।
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