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गौरव बुंदेला के खिलाफ जाँच शुरू
गिरधर परिसर स्थित किड्जी स्कूल में मासूम से ज्यादती के केस में गंभीर लापरवाही बरतने वाले टीआई गौरव सिंह बुंदेला के खिलाफ जांच शुरू हो गई है। जिम्मा एएसपी राजेश चंदेल को सौंपा गया है। आहत परिजनों ने भास्कर को बताया कि टीआई ने कैसे केस को अटकाया। शुरू से मामला रफा-दफा करने पर जोर दिया गया था। बच्ची के परिजनों की बताई आपबीती...
वो 24 फरवरी का दिन था। बच्ची ने जो कुछ बताया, सुनकर सब सहम गए। वह हमारी सोच के परे था। घर में सब रोने लगे। फूल सी बच्ची के साथ कोई ऐसा कैसे कर सकता है? तब हमने सबसे पहले पुलिस को बताने का फैसला किया। कोलार थाने में टीआई गौरव सिंह बुंदेला से मिले। पूरी बात सुनकर उन्हाेंने ममता ठाकुर से मिलवा दिया। ममता के सामने बच्ची ने वही दोहराया, जो हमें बताया था। ममता हमारी बात सुनकर बुंदेला के पास गईं। हमें नहीं पता उनके बीच क्या बात हुई।
बुंदेला ने हमसे कहा कि हम कल सिविल ड्रेस में घर आकर बयान लेंगे। हमने कहा-बयान ले तो लिए हैं। आप मेडिकल कराइए। मगर बुंदेला नहीं माने। उन्होंने लिखित में भी हमारी बात नहीं ली। हम मानसिक रूप से परेशान थे। घर लौट आए। 25 फरवरी को पूरे दिन वे नहीं आए। तब हमने खुद मेडिकल कराने का निर्णय लिया अौर अस्पताल आ गए।
ड्यूटी डॉक्टर ने चैक किया और स्पष्ट बताया कि बच्ची के साथ बहुत बुरा हुआ है। मगर एफआईआर नहीं होने से उन्होंने भी एक साधारण रिपोर्ट भर दी। 26 फरवरी को भी बुंदेला का अता-पता नहीं था। हम उनकी बेरुखी की वजह साधारण बेपरवाही समझते रहे।
26 की शाम को हमने स्कूल की प्रिंसिपल हेमनी सिंह को मिलने के लिए फोन किया। उन्होंने पूछा-क्या अरजेंट है? हमने कहा-बहुत जरूरी है। उन्होंने स्कूल के बाहर बुलाया। वे दोनों आए। कार अनुतोष प्रताप सिंह चला रहे थे। हमने हेमनी को बताया कि आपको जानना चाहिए कि आपके पति क्या करते हैं? उन्होंने क्या किया है?
तब अनुतोष ने पूछा कि क्या हुआ? हेमनी ने उसे बताया कि ये लोग आप पर आरोप लगा रहे हैं। अनुतोष यह जाने बगैर कि आरोप क्या लगा रहे हैं, फोन पर बात करते हुए स्कूल में चले गए। 10 मिनट बाद पुलिस की दो गाड़ियां आ गईं। इनमें बुंदेला भी आए। पूछा-क्या हुआ? तब हेमनी और अनुतोष ने कहा कि हमारे मौसा डीआईजी हैं। आप कीजिए शिकायत। अभी आपको पता चल जाएगा।
इसके बाद बुंदेला हमें स्कूल के भीतर लेकर आए। समझाया कि लड़की का मामला है। मीडियाबाजी हो जाएगी। बदनामी होगी। बच्ची छोटी है। तूल मत दीजिए। उस दौरान अनुतोष एक बार भी नजरें मिलाने सामने नहीं आया। फिर बुंदेला हमारे साथ हमारे घर आ गए और रात दो बजे तक सबको यही समझाते रहे कि मामले को तूल न दें। तब तक हमने 1090 पर फोन कर दिया था। कुछ और पुलिस वाले आ गए। उनके सामने पूरी बात दोहराई। देर रात हम कोलार थाने लाए गए। डॉक्टर ने फिर चैक किया। रिपोर्ट सुबह 5 बजे तक आई।
सुबह फिर थाने में बुरा अनुभव हुआ। हम जो बता रहे थे पुलिस उसे लिखने को राजी नहीं थी। कह रहे थे आरोपी का हुलिया बताओ। अंतत: हमने कहा कि हमारी शिकायत सादे कागज पर हम लिखकर देते हैं। उस शिकायत को उन्होंने किस रूप में दर्ज किया, हमें पढ़ाया भी नहीं और जल्दबाजी में दस्तखत ले लिए। हमें मीडिया में छपी खबरों से ही पता चला कि गौरव सिंह बुंदेला खुद अनुतोष सिंह के जिगरी दोस्त हैं और फेसबुक पर उनकी कई तस्वीरें हैं। अंतत: तीन दिन बाद 27 फरवरी को एफआईआर दर्ज हो सकी।[दैनिक भास्कर से साभार ]
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