कलियासोत में NGT के आदेश का मजाक
बिल्डरों ने पहले कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे में ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण किया फिर जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सीमांकन के आदेश दिए तो नदी में ही भराव करवा दिया। एनजीटी के आदेश की अवहेलना यहीं नहीं थमी, बल्कि जब प्रशासन ने सीमांकन शुरू किया तो उसने भी बिल्डरों को बचाने के लिए नदी के अंदर 12 मीटर घुसकर जीरो प्वाइंट मानकर ग्रीन बेल्ट की जगह चिन्हित कर दी, ताकि बिल्डिरों द्वारा ग्रीन बेल्ट पर किए गए अतिक्रमण पर पर्दा डाला जा सके।बुधवार को याचिकाकर्ता पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी. पांडेय ने मीडिया के साथ कलियासोत नदी का निरीक्षण किया। इसमें यह गड़बड़ी सामने आई। याचिकाकर्ता शिरडीपुरम स्थित सागर प्रीमियम टॉवर के डी ब्लॉक के पीछे पहुंचे। यहां सैकड़ों डंपरों से नदी का भराव किया गया है। इसे छुपाने के लिए यहां कुछ पौधे भी लगाए गए हैं। यहां नदी में छह हजार वर्ग फीट से अधिक हिस्से पर भराव किया गया है। इसके सामने एक बिल्डर ने नदी में घुसकर दीवार खड़ी कर दी है। सिग्नेचर 99 में ग्रीन बेल्ट पर पहले अतिक्रमण किया गया फिर यहां संपवेल टैंक और बिजली के खंभों में ट्रांसफार्मर लगा दिए गए।एनजीटी ने नदी के किनारे सभी निर्माण कार्य रोकने के आदेश दिए हैं, लेकिन विराशा हाइट्स, आम्रवैली और आईबीडी में काम चल रहा है। कहीं फिनिशिंग चल रही है, तो कहीं छत डाली जा रही है। इन कॉलोनियों में नदी में दीवार बनाकर भर्ती की गई है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी), राजस्व विभाग, नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से टीम गठित की गई है, जो सीमांकन कर रही है। ऐसे में सीधे तौर पर ये तीनों विभाग ग्रीन बेल्ट पर किए गए अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा यह नदी जल संसाधन विभाग की है इसलिए इस पर अतिक्रमण होने पर इस विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है। नदी में सीवेज रोकने की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की है। इस तरह पांचों एजेंसियों की भूमिका सवालों के घेरे में है।ट्रिब्यूनल में लिखित शिकायत करूंगा यह कहना है पर्यावरणविद् व याचिकाकर्ता डॉ. सुभाष सी. पांडेय का। उन्होंने कहा कलियासोत नदी पर बिल्डर द्वारा की जा रही कार्रवाई स्तब्ध कर देने वाली है। एनजीटी के अंतिम आदेश के 11 महीने बाद भी नदी से अतिक्रमण हटाने की बजाय, नदी की भराई करके निर्माण कार्य चल रहा है, जो ट्रिब्यूनल के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना है। बिल्डरों द्वारा सैकड़ों डंपर मलबे से नदी को भरकर नाले में बदला जाना, बिना टीएंडसीपी और अन्य जिम्मेदार विभागों के मिलीभगत के संभव नहीं है। मैं इस पूरे घटनाक्रम की लिखित शिकायत करूंगा।वहीँ एसएलआर सीपी प्रसाद ने कहा आरोप गलत हैं ,कलियासोत नदी के सीमांकन का काम दो किमी और शेष है। जिसमें एक दिन का समय लगेगा। अब तक जो भी सीमांकन का काम हुआ है, वह निर्धारित मापदंड के आधार पर हुआ है। सीमांकन में गड़बड़ी के आरोप गलत हैं।