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शहर के पास कोलार ,केरवा, रातापानी और कलियासोत के जंगलों में घूमने वाले बाघों को शिकारियों को पकड़ने के लिए वनविभाग ने डॉग स्क्वाड की जो योजना बनायी थी उसके क्रियान्वयन में समय लग सकता है। हकीकत यह है अभी तक विभाग को डाग्स नहीं मिले हैं, जबकि ठंड के मौसम में ही शिकारियों का मूवमेंट जंगलों में तेज हो जाता है। गौरतलब है जबलपुर, सागर, इंदौर, होशंगाबाद और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में डॉग स्क्वाड है। इसके लिए वन विभाग ने योजना बनायी थी।
वन विभाग के डॉग्स स्क्वाड के लिए पहले उसके कर्मचारियों और अधिकारियों की ट्रेनिंग होगी, क्योंकि इसके बिना वह किसी काम का नहीं रहेगा। इसके लिए विभाग की एक टीम डॉग्स को हैंडल करने का प्रशिक्षण लेगी, उसके बाद ही यह स्क्वाड जंगलों में मूवमेंट कर पाएगा। इसके अलावा डॉग्स के रखरखाव के लिए भी विभाग को अलग से बजट तय करना होगा।
बैरसिया, नजीराबाद और कलियासोत के जंगलों में शिकारियों का मूवमेंट पिछले दिनों तेज रहा है। यह शिकारी टूरिस्ट के रूप में वहां पर जाते हैं। विभाग का मुखबिरों से सूचना मिली थी कि नजीराबाद के जंगलों में शिकारियों का मूवमेंट है और उसके वहां पर हिरण के शिकार की घटना सामने आयी थी। अधिकारियों का कहना है ग्रामीण इलाके के आसपास मूवमेंट होने से शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका रहती है, इसलिए बाघ की निगरानी के लिए केरवा और कलियासोत क्षेत्र में वन अमले की गश्त बढ़ा दी गई है। बाघ के कुनबे की निगरानी के लिए कर्मचारियों की 5 टीमें बनाई है।
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