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भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को फरार कराने के मामले में आरोपी पूर्व कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराजपुरी के खिलाफ अदालत ने जमानती वारंट जारी किए हैं। सीजेएम भूभास्कर यादव ने आदेश जारी करते हुए दोनों ही आरोपियों के खिलाफ वारंट तामील कराकर उन्हें मार्च में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मोती सिंह और स्वराजपुरी प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनके प्रभाव के चलते ही उनके खिलाफ अदालत के समन की तामीली नहीं की जा रही है, जबकि उन्हें पूर्व से ही समन की जानकारी है। इसके बाद अदालत ने दोनों ही आरोपियों के खिलाफ पांच-पांच हजार रुपए के जमानती वारंट जारी किए।
गैस पीड़ित महिला उघोग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार और एडवोकेट शाहनवाज खान ने 19 जून 2010 को मोती सिंह और स्वराजपुरी के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में आपराधिक परिवाद पेश किया था। परिवाद में आरोप था कि 2 व 3 दिसंबर 1984 की रात हुई गैस त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड कारखाने के मालिक वारेन एंडरसन जिम्मेदार थे। पुलिस ने एंडरसन के खिलाफ गैरजमानती अपराध पंजीबद्ध किया था, जिसके तहत एंडरसन को हनुमानगंज थाने में 7 दिसंबर 1984 को गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और तत्कालीन एसपी स्वराजपुरी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एंडरसन को मुचलके पर छोड़ दिया और उसे एयरपोर्ट तक छोड़ने भी गए। दोनों ही आरोपी अफसरों ने एंडरसन को फरार कराने में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया था। अदालत ने परिवाद स्वीकार करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें समन जारी कर पेश होने को कहा। अदालत के बार-बार समन जारी होने पर भी वे इन्हें निरंतर टालते आ रहे थे। हालांकि सीजेएम कोर्ट द्वारा दर्ज प्रकरण के खिलाफ दोनों ही आरोपी अफसरों ने सेशन कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका भी दाखिल की है।
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