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नए डीआईजी संतोष सिंह के सामने कई चुनौतियां
ips santosh singh

नए डीआईजी संतोष सिंह कार्य के प्रति ईमानदार व स्पष्टवादी छवि के अधिकारी माने जाते हैं। डीआईजी सिंह को राजधानी में क्राइम कंट्रोल, कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ वर्षों पुराने अंधे कत्लों, पुलिस पर आरोपियों द्वारा हमले करने व दबाव बनाने के साथ पुलिस के निचले स्टॉफ की अपराधियों से सांठगांठ जैसे कई चुनौतियां से निपटना होगा। नवागत डीआईजी की कार्यशौली को देखकर राजधानी के करीब एक दर्जन थाना प्रभारी जिले से बाहर जाने की जुगाड़ में लग गए हैं।  डीआईजी संतोष सिंह की कार्यशौली को जानने वाले बताते हैं कि जिस तरह वर्तमान में थाना पुलिस व टीआई की लापरवाही मामलों में सामने आती है और अधिकारी स्वयं मोर्चा संभाल लेते हैं, लेकिन पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसा आने वाले दिनों में होना संभव नहीं। जब किसी भी मामले में थाना स्टॉफ या टीआई की वारदात के संबंध में लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। ऐसे में संभव है कि अवैध पदार्थों, जुआ-सट्टा चलाने व सेक्स रैकेट से जुड़े लोगों से सांठगांठ करने वाले पुलिस अधिकारी ज्यादा दिन तक पुराने ढर्रे पर नहीं चल पाएंगे।

सितंबर 2016 में सब्बन चौराहे पर स्थित होटल महाकाल के मालिक संजय चौरसिया द्वारा महिला पुलिसकर्मियों से मारपीट करने का मामला हो या एमपी नगर जोन-1 में गुमठी रखने को लेकर एएसआई से झूमाझटकी का मामला। राजधानी में कई दफा पुलिस पर हमले हो चुके हैं। शुक्रवार की रात तलैया में कंजरों द्वारा पुलिस टीम पर हमला हो या थाने में उत्पात मचाकर बजरंग दल के नेता कमलेश ठाकुर को थाने से छुड़ा ले जाने का केस। इस सब मामलों में पुलिस बैकफुट पर रही है। वर्तमान में राजधानी के आधे थाना प्रभारी आराम से थाना चला रहे हैं। न तो उन्हें क्षेत्र में होने वारदातों से मतलत न ही क्राइम कंट्रोल करने में। ऐसे में नवागत डीआईजी के साथ कार्य करने में खुद को फिट नहीं देख रहे हैं। इस कारण राजधानी के करीब एक दर्जन थाना प्रभारी नए ठिकाने की तलाश में लग गए हैं। ज्ञात हो कि जिस लावरवाही पूर्ण तरीके से अभी थाना चला रहे हैं, ऐसा आने वाले दिनों में नहीं चलने वाला।

इस तरह के हमले पुलिस पर होते रहे तो राजधानी में वर्दी का खौफ खत्म हो जाएगा। नए डीआईजी पर पुलिस पर होने वाले हमलों को रोकने के साथ अपराधियों में वर्दी का खौफ बनाए रखने की चुनौती भी है। साथ ही वर्षों पुराने अंधे कत्ल, लूट, चोरी और वाहर चोरी के साथ जालसाजों पर अंकुश लगाना  भी चुनौतियों में शामिल है।

Kolar News 17 July 2017

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