आरटीआई के उल्लंघन पर चार अधिकारियों पर कंसा शिकंजा
राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपीलार्थी को हर्जाना दिलाने के दिए आदेशशैफाली गुप्ता राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में 4 प्रकरणों में लोक सूचना अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है कि क्यों न उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए और प्रभावित पक्ष को हर्जाना दिलाया जाए। चारों प्रकरणो में प्रथम अपील का विधिसम्मत निराकरण नहीं करने पर अपीलीय अधिकारियों से भी जवाब तलब किया गया है। यह विरला अवसर है जब एक ही दिन की सुनवाई में इतने मामलों में लोक सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों पर कानूनी शिकंजा कसा गया है। चारों मामलों में आदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने पारित किएं। खास बात यह है कि ये सभी मामले वन विभाग से जुड़े हैं और इनमें लोक सूचना अधिकारी तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी समान हैं। शिवपुरी के वन क्षेत्रपाल रामरतन जाटव ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी व उप वन मंडलाधिकारी, बीनागंज (गुना) से उनकी भ्रमण डायरी, लाग बुक, किराए पर वाहन लेने के स्वीकृति आदेश तथा स्वर्णपदक संबंधी जानकारी मांगी थी। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी एक माह में देना जरूरी है। यह समय सीमा खत्म होने के साढ़े तीन माह बाद जाटव को सिर्फ स्वर्णपदक संबंधी जानकारी दी गई। प्रथम अपीलीय अधिकारी की ओर से सूचना आयोग को बताया गया कि लालजी मिश्र ने शासकीय व किराए के वाहन का इस्तेमाल किया, लेकिन इसकी लाग बुक तथा वाहन किराए से लेने के स्वीकृति आदेश की जानकारी कार्यालय में उपलब्ध न होने से नहीं दी जा सकी है। आत्मदीप ने दलील को खारिज करते हुए अपीलार्थी को चाही गयी जानकारी एक माह में उपलब्ध करा कर आयोग के समक्ष पालन प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि लोक सूचना अधिकारी लालजी मिश्र सूचना के आवेदन का निराकरण 30 दिन की निर्धारित अवधि में करने में विफल रहे। आवेदन में मिश्र से उन्हीं से संबंधित जानकारी मांगी गई थी इसलिए नियमानुसार उन्हें यह आवेदन निराकरण के लिए अन्य अधिकारी को अंतरित करने की कार्रवाई करनी थी जो नहीं की गई। लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को शुल्क व अपील संबंधी आवश्यक जानकारी भी नहीं दी गई। इन तथ्यों के मद्देनजर सूचना आयुक्त आत्मदीप ने लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया कि धारा (7) का उल्लंघन करने के कारण क्यों न उन पर धारा 20 (1) के तहत जुर्माना लगाया जाए तथा धारा 19 (8) के अंतर्गत अपीलार्थी को हर्जाना दिलाया जाए । इस प्रकरण में यह भी पाया गया कि तत्कालीन प्रथम अपीलीय अधिकारी पीके सिंह (वतर्मान में मुख्य वन संरक्षक, रीवा) ने प्रथम अपील का निराकरण धारा 19 के अनुसार नहीं किया। उन्होंने न अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर प्रदान किया और न ही अधिकतम 45 दिनों में अपील पर निर्णय/आदेश पारित किया। आत्मदीप ने आदेश दिया है कि अपीलीय अधिकारी की इस विधि विरुद्ध भूमिका से उनके विभागाध्यक्ष को अवगत कराया जाए, ताकि उनके स्तर पर यथोचित कार्रवाई की जा सके। दूसरे प्रकरण में अपीलार्थी रामरतन जाटव ने लोक सूचना अधिकारी व संलग्नाधिकारी, वन मंडल गुना, लालजी मिश्र से मधुसूदनगढ़ वन क्षेत्र में कराए गए वृक्षारोपण कार्य तथा कूपों में खुदाई गई पशु अवरोधक खंती के प्रमाणकों की जानकारी मांगी थी, जो नहीं दी गई। प्रथम अपील का निराकरण भी विधि अनुसार नहीं किया गया। जानकारी देने की समय सीमा खत्म होने के बाद लोक सूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को सूचित किया कि जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं मांगी गई है, जबकि अपीलार्थी ने चाही गई जानकारी का स्पष्ट उल्लेख किया था। इसके अलावा लोक सूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को प्रथम अपील संबंधी जरूरी जानकारी दिए बिना उनके कार्यालय में की गई प्रथम अपील लौटा दी। अपील को प्रथम अपीलीय अधिकारी, वन संरक्षक, गुना को अग्रेषित नहीं किया। आत्मदीप ने आदेश दिया कि लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी किया कि धारा 7 का उल्लंघन करने के कारण क्यों न उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए तथा अपीलार्थी को हर्जाना दिलाया जाए। सूचना आयुक्त ने द्वितीय अपील निरस्त करने के अनुरोध को नामंजूर करते हुए तत्कालीन अपीलीय अधिकारी पीके सिंह को निर्देषित किया है कि वे बाद में उनके समक्ष प्रस्तुत की गई प्रथम अपील के निराकरण के लिए धारा 19 के तहत की गई कार्रवाई से आयोग को एक माह के भीतर अवगत कराएं। तीसरे प्रकरण में वन क्षेत्रपाल रामरतन जाटव ने लोक सूचना अधिकारी, संलग्नाधिकारी, वन मंडल, गुना से उनके वन मंडल में वृक्षारोपण के तहत कराए काम तथा लेनटाना झाड़ियां उखड़वाने के प्रमाणकों (बिलों) की जानकारी मांगी थी जो एक माह की समय सीमा में नहीं दी गई । समय सीमा समाप्त होने के करीब सवा दो साल बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी वन संरक्षक, गुना ने वांछित जानकारी अपीलार्थी को मुहैया कराई। अपीलीय अधिकारी ने मंजूर किया कि जानकारी देरी से दी गई है। आत्मदीप ने लोक सूचना अधिकारी को दंडित करने के लिए नोटिस जारी करने का आदेष पारित किया है। साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारी से प्रतिवेदन तलब किया है कि धारा 19 के अनुसार प्रथम अपील का निराकरण करने के लिए उन्होंने क्या कायर्वाही की। चौथे प्रकरण में उप वन क्षेत्रपाल बाबूसिंह परमार ने लोक सूचना अधिकारी, संलग्नाधिकारी, वन मंडल, गुना से वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन की जांच रपट तथा उप वन मंडलाधिकारी, बमौरी, एलबी गोयल की दौरा डायरी की जानकारी मांगी थी, जो नहीं दी गई। प्रथम अपीलीय अधिकारी, वन मंडलाधिकारी, गुना ने सूचना आयोग को जवाब दिया कि अपीलार्थी के उपस्थित न होने के कारण उन्हें चाही गई पूरी जानकारी नहीं दी जा सकी। इसे नामंजूर करते हुए आत्मदीप ने आदेशित किया है कि लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी किया जाए कि धारा 7 के अनुसार आवेदन का निपटारा न करने के कारण क्यों न उन पर शास्ति अधिरोपित की जाए और अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति दिलाई जाए। प्रथम अपीलीय अधिकारी को भी निर्देषित किया गया है कि वे प्रथम अपील पर धारा 19 के अनुसार की गई कार्रवाई से आयोग को अवगत कराएं।