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कलियासोत के असल दोषी कौन ?
कलियासोत के असल दोषी कौन ?
कलियासोत नदी के सीमांकन में सरकारी अफसरों द्वारा बरती लापरवाही से सरकारी खजाने को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा वहीं आमजनता को भी शारीरिक,मानसिक और आर्थिक रूप से भारी क्षति उठानी पड़ी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इस लापरवाही के चलते हुए नुकसान का जिम्मेदार अफसर कौन है और उनके द्वारा पहुंचाई गई क्षति के लिए उनके खिलाफ कब तक और क्या कार्रवाई की जाएगी ?।जानकारी के मुताबिक कलियासोत नदी का सीमांकन कर मुनारे लगाने का काम करीब दो महीने चला, जिसमें करीब आधा दर्जन सरकारी अफसरों सहित दर्जनों कर्मचारियों ने काम किया। इस काम में लगे रहने के दौरान उक्त अफसर और कर्मचारी विभागीय काम नहीं कर सके ऐसे में जब नदी का सीमांकन ही गलत बताया जा रहा है तो अब तक इस काम में लगे अधिकारी और कर्मचारियों पर वेतन के रूप में किया गया खर्च बेकार चला गया। इसके अलावा एक निजी एजेंसी को कलियासोत नदी का नक्शा देकर सीमांकन का कार्य कराया गया जिसके लिए उस एजेंसी को भुगतान किया गया। जिसमें सरकारी धन की फिजूल खर्ची को उजागर कर रहा है।जानकारों का कहना है कि जब नदी के दोनों ओर 33 मीटर का कैंचमेंट एरिया तय करने के लिए शासन - प्रशासन के पास कोई ठोस आधार है ही नहीं होने के बावजूद सर्वधर्म पुल के पास सरकारी विभागों से परमीशन लेकर लगे भावना इंटरप्राइजेस (प्रसांत गुरुदेव), तरुण आर्ट पब्लिसिटी (तरुण यादव), मां पब्लिसिटी (अकरम खान), एड क्रियेसन (सुसील जैन), तनुज एडवरटाइजिंग (सुनील विषेकर), सौभाग्य एडवरटाइजिंग और प्रियांसी मौलिक (दीपकदयाल माथुर) आदि कंपनियों के होर्डिंग्स हटवा दिए होर्डिंग हटाने में हुई टूट-फूट और होर्डिंग पर विज्ञापन लगने से होने वाली कमाई बेद होने से संचालकों को भारी नुकासान उठाना पड़ रहा है।जबकि होर्डिंग्स संचालकों का कहना है कि उन्होंने परमिशन के बाद बकायदा टैक्स जमा करके ही होर्डिंग्स लगाए हैं।कार्रवाई की जद में आ रहे प्रभावितों का कहना है कि सरकारी विभागों का जिम्मेदारी होती है कि निर्माण की परमीशन देखपरख कर जारी करें यदि उन्होंने गलत परमीशन जारी की हैं तो सरकारी विभागों की गलती बेकसूरों के माथे पर क्यो थोपी जा रही है। जबकि कालियासोत के कैचमेंट एरिया में निर्माण के लिए सरकारी अफसरों ने नियम कानून को ताक पर रखकर नदी किनारे बहुमंजिला इमारतों और मकानों के निर्माण की परमीशन जारी कर दीं। इतना ही नहीं बैंकों ने भी वाकायदा सर्च कराने के बाद ही लोगों को मकान और μलैट खरीदने के लिए लोन जारी किया। लोगों का कहना है निर्माण चाहे 1995 से पहले का हो या बाद का उस निर्माण की परमीशन तो नगर एवं ग्राम निवेश (टीएनसीपी), तहसील, नगर निगम और पालिका आदि सरकारी विभागों ने ही जारी की है ऐसे में लोगों को कसूरवार कै से ठहराया जा सकता है।
Other Source 2016/05/08

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