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विधिक सेवा प्राधिकरण ने कराया समझौता
पत्नी को हर माह पति के खाते में डालने होंगे 10 हजार रुपए
न्यू मार्केट के एक बड़े शोरूम के मालिक को उसकी पत्नी ने पांच साल से बंधक बनाकर रखा था। इसकी शिकायत बहन ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में की थी। जज आशुतोष मिश्रा ने पति की हालत सुधरवाई और पत्नी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि दोबारा ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए। पत्नी से कहा कि जानवरों जैसी स्थिति में पति को नहीं रखना होगा। जज ने कहा कि प्राधिकरण हर रविवार को पति के रहन-सहन की मॉनीटरिंग करेगी। वहीं पत्नी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा कि बीमारी के कारण उन्हें अलग कमरे में रखा जाता है। पति को 12 साल से ब्रश करते नहीं देखा और ना ही कई महीनों से नहाते हुए देखा है। इस पर जज ने कहा कि अगर पति को बीमारी है तो उसकी देखभाल की जिम्मेदारी आपकी बनती है, न कि उसे एक कमरे में बंधक बना दिया जाए। जज ने मामले में दोनों के बीच समझौता कराया और आदेश दिया कि पत्नी हर माह पति के खाते में 10 हजार रुपए जमा कराएगी। साथ ही अलग घर में रखेगी तो वहां पर सभी सुख-सुविधा की चीजें उपलब्ध करवाएगी। इसमें गैस चूल्हा, फ्रीज, फर्नीचर, टीवी, खाद्य सामग्री, मेडिकल सुविधा आदि सबकुछ उपलब्ध करवाना होगा। वंही पत्नी ने कहा कि दत्तक पुत्र के पढ़ाई-लिखाई का खर्च और घर की पूरी जिम्मेदारी मेरी है। पति बीमारी के कारण सभी को परेशान करते हैं इसलिए उन्हें अलग कमरे में रखना पड़ता है। पति ने ऐशोआराम में बहुत पैसा बर्बाद कर दिया है।
प्राधिकरण ने बंधक पति के बैंक अकाउंट को फिर से शुरू कराया, जिसमें उसकी पत्नी हर माह पैसे डालेगी। बैंक अकाउंट में नॉमिनी पत्नी को हटाकर पति की बहन को बना दिया गया। उसके अन्य दस्तावेज पेनकार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि भी निकलवाए जा रहे हैं।
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