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दो लोगों की शिकायत पर रंजीत निसान मोटर्स के डीलर को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी ने एक से दो साल पुरानी दो कारों का रंग-रोगन कर उन्हें नई बताकर बेच दिया था। इसके लिए गाड़ी का दोबारा बीमा कराया गया। इसमें आरटीओ की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। दरअसल, पुलिस ने जब आरटीओ दफ्तर में फोन पर कार मालिक के बारे में पूछा तो उन्हें बेचने वाले का नाम बताया, लेकिन जब लिखित में जानकारी मांगी तो खरीदने वाले को मालिक बता दिया गया।
मिसरोद पुलिस के एसआई मुकेश स्थापक ने बताया कि राजहर्ष कॉलोनी में रहने वाली विनीता सक्सेना गृहिणी हैं। उनके पति भूपेंद्र सक्सेना माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नौकरी करते हैं। 19 जुलाई 2016 को सक्सेना दंपती ने होशंगाबाद रोड स्थित रंजीत मोटर्स निसान कंपनी के डीलर तरनजीत सिंह से माइक्रा कार खरीदी थी। इसे डीलर ने यह कहकर बेचा था कि यह 2015 का मॉडल है, लेकिन बाद में कार का रंग फीका पड़ गया। कार चलाने में भी दिक्कत होने लगी। जब विनीता सक्सेना ने कार को निजी मैकेनिक को दिखाया तो पता चला कि वह तो 2014 का मॉडल है। उसे मरम्मत करवाकर बेचा गया है। पीड़ित दंपती ने यह बात कार डीलर इंद्रपुरी निवासी तरनजीत सिंह को बताई तो उन्होंने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। इसके बाद पीड़ित ने दिसंबर में थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
मिसरोद पुलिस के एसआई मुकेश स्थापक ने बताया कि राजहर्ष कॉलोनी में रहने वाली विनीता सक्सेना गृहिणी हैं। उनके पति भूपेंद्र सक्सेना माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नौकरी करते हैं। 19 जुलाई 2016 को सक्सेना दंपती ने होशंगाबाद रोड स्थित रंजीत मोटर्स निसान कंपनी के डीलर तरनजीत सिंह से माइक्रा कार खरीदी थी। इसे डीलर ने यह कहकर बेचा था कि यह 2015 का मॉडल है, लेकिन बाद में कार का रंग फीका पड़ गया। कार चलाने में भी दिक्कत होने लगी। जब विनीता सक्सेना ने कार को निजी मैकेनिक को दिखाया तो पता चला कि वह तो 2014 का मॉडल है। उसे मरम्मत करवाकर बेचा गया है। पीड़ित दंपती ने यह बात कार डीलर इंद्रपुरी निवासी तरनजीत सिंह को बताई तो उन्होंने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। इसके बाद पीड़ित ने दिसंबर में थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
विनीता की कार का रजिस्ट्रेशन डीलर द्वारा ही करवाकर दिया गया था। उसके लिए उसने दो बार बीमा करवाया था। पुलिस जांच में सामने आया कि पहली बार कार का बीमा 31 मार्च 2016 से 30 मार्च 2017 तक था। जबकि उसे नया बताने के लिए दूसरा बीमा 9 मई 2016 से 9 मई 2017 में कराया गया था।
एसआई स्थापक के अनुसार पुलिस जांच शुरू की तो आरटीओ में कार किसी दूसरे के नाम पर थी। पुलिस ने जब दोबारा लिखित में जानकारी मांगने पर आरटीओ ने उसे दुरुस्त कर विनीता सक्सेना के नाम पर कार को रजिस्टर्ड बताया।
ऐसी ही धोखाधड़ी गोल्डन सिटी जाटखेड़ी में रहने वाले बिल्डर राजेश अग्रवाल के साथ हुई। उन्होंने अपनी पत्नी संगीता अग्रवाल के नाम पर निसान की लक्जरी कार रंजीत मोटर्स के डीलर तरनजीत सिंह से ही जुलाई 2017 में खरीदी थी। वह भी कुछ दिन बाद खराब हो गई। उसका रंग उड़ गया। जब इसकी शिकायत तरनजीत सिंह से की तो उसने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद राजेश ने चेसिस नंबर के आधार पर वेबसाइट से कार की जानकारी पता की तो कार का मॉडल 2016 का निकला। इसके बाद उन्होंने जनवरी 2018 में थाने में शिकायत की। पुलिस ने आरोपी डीलर के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
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