नोटबंदी के बाद कालाधन सफेद करने के मामले में जांच एजेंसियों का शिकंजा बिल्डर पी राजू पर कसता जा रहा है। बिल्डर से जुडे अफसर और नेताओं पर भी जांच एजेंसियों की नजर है। एजेंसियां यह भी पता लगा रही हैं कि बिल्डर पी राजू के प्रोजेक्ट वेस्टर्न ग्रुप में उसका अ सरकारी हिडन पार्टनर कौन है, ताकि इन सफेदपोशों को पकड़ा जा सके।
सिग्नेचर और वेस्टर्न गु्रप में इस समय आपसी विवाद चल रहा है। पी राजू की पत्नी अब कोर्ट जाने की तैयारी में है, ताकि गु्रप के प्रोजेक्ट में उनका हिस्सा तय हो सके। इसी तरह सिग्नेचर गु्रप से टूटकर वेस्टर्न ग्रुप अलग बन गया है। इसके भी विवाद चल रहे हैं। यही स्थिति नए बने वेस्टर्न ग्रुप की है। इस विवाद के बीच वे बड़े अफसर और नेता परेशान हैं, जिनकी ब्लैकमनी अलग-अलग नामों से इन ग्रुप्स में फंस गई है, क्योंकि अब यहां कोई किसी की नहीं सुन रहा है। नई मुसीबत यह है कि अब सफेदपोश अपने पैसे रिटर्न मांग रहे हैं।
कोलार स्थित पी राजू के वेस्टर्न होटल में नेताओं और कई अधिकारियों का जमावड़ा लगता है। इनकी सिटिंग अरेंजमेंट के लिए पी-राजू ने विशेष इंतजाम किए हैं। पता चला है कि ऐसे नेता और अफसर ही यहां नियमित रूप से संपर्क में रहते हैं , जिनका इस गु्रप में निवेश है। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसियां ऐसे सुबूत तलाश रही हैं, जिनसे यह पता चल सके कि किस-किस नेता अफसर का कालाधन यहां खपा हुआ है। कालाधन केंद्र सरकार के नोटबंदी जैसे सख्त रुख के बाद वेस्टर्न होटल में ऐसे लोगों का आना जाना कम हो गया है।
भाजपा नेता सुशील वासवानी एवं नागरिक सहकारी बैंक पर पड़ी आईटी रेड के बाद कुछ सूत्र वेस्टर्न और सिग्नेचर गु्रप से भी मिलते दिख रहे हैं। पता चला है कि इस बैंक के माध्यम से भी इस गु्रप का कुछ पैसा ब्लैक से व्हाइट हुआ है। गौरतलब है कि इन दोनों गु्रप के 5 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जिनमें पी राजू की पार्टनरशिप है। अगर जांच हुई तो दूर तक जाएगी। इस गु्रप में निवेश करने वाले यानि की प्रॉपर्टी खरीदने वाले भी फंस सकते हैं। दूसरा मामला ईओडब्ल्यू का चल रहा है। यह सर्वधर्म सोसायटी से जुड़ा हुआ है।