अपराधों का बढ़ रहा ग्राफ
कोलार की 2 लाख से ज्यादा की आबादी कोलार थाने के 56 पुलिस कर्मियों के भरोसे है। इस हिसाब से देखा जाए तो साढ़े तीन हजार नागरिकों पर एक पुलिस कर्मी है। क्षेत्र की आबादी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि कोलार थाने का स्टाफ बढ़ाया जाना चाहिए। थाने में स्टाफ की कमी का फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। चोरियों का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
वहीं कोलार थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने वालों के साथ पुलिस कर्मियों की बदसलूकी के कई मामले में प्रकाश में आए हैं। फरियादी के पूछने पर उनसे कहा जाता है कि क्या-क्या देखे, चल रही है कार्रवाई। इस चिड़चिड़े पन की वजह की पड़ताल में खुलासा हुआ कि स्टाफ की कमी के कारण पुलिस का जवान अपने आपको और परिवार को समय नहीं दे पाता। हफ्ते में एक दिन की छुट्टी नहीं मिलने के कारण ड्यूटी में भी मन नहीं लगता। इस बात का फायदा चोर उचक्के उठाने से नहीं चुकते। पुलिस प्रशासन को बढ़ते उपनगर को देखकर यहां स्टाफ की संख्या बढ़ानी चाहिए। तभी क्षेत्र में अपराध पर काबू हो सकेगा।
थाने में स्टाफ की कमी के कारण सबसे अधिक असर रात की गश्त पर पड़ रहा है। चोरी की घटनाएं लगातार हो रही है। चोरों का नेटवर्क पुलिस से तेज है।
पुलिस एक तरफ है तो चोरी दूसरी तरफ हो रही है। इतना ही नहीं कोलार मेन रोड की दुकान से रात को हुई चोरी की घटनाएं इस बात का प्रमाण है कि जो रोड रात भर चलती है वहां चोर आसानी से चोरी कर रहे हैं तो अंदरूनी कॉलोनियों में क्या हाल होगा।
शहर से शिफ्ट कर कोलार में करीब एक दर्जन जगहों पर झुग्गियों को बसाया गया है। इस कारण क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की आपराधिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है। यहां जुआं, सट्टा, चोरी, लूट, अवैध शराब की ब्रिक्री समेत कई चीजें चल रही हैं।
थाने में कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन कोई अपराध कायम नहीं किया गया हो। उपनगर के ग्राम थुआखेड़ा तक कई कॉलोनियों बन चुकी हैं। जबकि नगर निगम सीमा इनायतपुर तक समाप्त हो जाती है। देखा जाए तो क्षेत्र काफी फैल चुका है, सीमाएं बढ़ चुकी हैं। कोलार से मंडीदीप, मिसरोद, कोलार डेम, गुलमोहर की तरफ कई रास्ते जाते हैं। इन रास्तों पर पुलिस चौकियों की जरूरत है।