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निशातपुरा के अमन कॉलोनी में रहने वाली 14 वर्षीय दिव्यांग किशोरी ने खुद आग नहीं लगाई थी, बल्कि पड़ोसी ने अपने साले के साथ मिलकर उसे मिट्टी का तेल डालकर जला दिया था। हमीदिया अस्पताल में भर्ती किशोरी ने सोमवार सुबह दम तोड़ दिया। निशातपुरा पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि मृतका के बड़े भाई ने पड़ोसी की बेटी को प्रेम जाल में फंसाकर अगवा कर लिया था। इस बात से नाराज होकर लड़की के पिता और मामा ने वारदात को अंजाम दिया।
निशातपुरा टीआई चैन सिंह रघुवंशी ने बताया कि रविवार को अमन कॉलोनी में रहने वाली 14 वर्षीय नैना चौरसिया दिव्यांग थी। रविवार रात को उसके मां और भाई घर से बाहर थे। उसी दौरान उसके घर से महज 100 मीटर दूर रहने वाले 35 वर्षीय राधामोहन अग्निहोत्री और उसके साले अमित तिवारी (35) घर पर आए और दोनों ने उसे जिंदा जला दिया।
मरने से पहले मृतका ने पूरा घटनाक्रम अपनी बहन सोनू को बताया था। सोनू ने बताया कि नैना को अकेला पाकर राधामोहन और अमित तिवारी ने पहले उसके साथ मारपीट की, बाल पकड़कर घसीटा। इसके बाद एक पैर से दिव्यांग नैना पर मिट्टी का तेल डालना शुरू कर दिया। उसने बचने के लिए आरोपियों के सामने लाख मिन्नतें की लेकिन उसकी एक नहीं सुनी। आग लगाकर आरोपी उसे कमरे में बंद करके भाग गए। नैना की चीख पुकार सुनकर उसके पड़ोसियों ने मां, बहन और भाइयों को सूचना दी और उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था।
आरोपी राधामोहन बैरागढ़ में एक शराब की दुकान पर सेल्समैन का काम करता है। उसकी तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 17 वर्ष 9 माह की है। उसके बाद उसकी दो और बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी एक जनवरी को कोचिंग के लिए निकली थी। तभी नैना का बड़ा भाई दीपक उर्फ कल्लू चौरसिया (21) उसे अपने साथ ले गया था। किशोरी भी एक कागज पर लिखकर गई थी कि वह अपनी मर्जी से दीपक के साथ जा रही है। दीपक की इस हरकत के कारण राधामोहन की समाज में काफी बदनामी हो गई थी। उसके साले भी इटावा यूपी से आ गए थे। उन्होंने दीपक के खिलाफ किशोरी को अगवा करने का मामला दर्ज कराया था। वे खुद भी दीपक की तलाश कर रहे थे। उनके सिर पर खून सवार था।
बेटी की तलाश रहे आरोपी घटना के दो दिन पहले मंडीदीप से लौटे थे। इसके बाद उन्हें जानकारी मिली थी कि दीपक उनकी बेटी को लेकर मंडीदीप में छिपा बैठा है। काफी तलाश करने के बाद वह नहीं मिला था। दीपक अपना मोबाइल भी बेचकर गया था। इसके बाद उन्हें पता चला कि शायद वे दोनों उज्जैन में हो सकते हैं, क्योंकि वहां दीपक का छोटा भाई अंशु रहता है। वह वहां चूड़ियों का ठेला लगता है। लेकिन इसकी भनक लगते ही अंशु भी वहां से भाग गया था।
राधा मोहन इससे पहले भी दीपक को धमका चुका था। एक बार उसने दोनों को साथ देख लिया था। उसके बाद वह उसे समझाने के लिए उसके घर पर भी गया था। लेकिन दोनों ने मिलना-जुलना जारी रखा था। दीपक के पिता की मृत्यु हो चुकी है। वह हलवाई का काम करते थे। दीपक छह भाई बहन है। मृतका नैना उसकी मझली बहन थी।
पीएम के बाद मृतका के परिजन शव को थाने के बाहर रखकर चक्काजाम करना चाह रहे थे। इस बात जानकारी पुलिस को लग गई। इसके चलते सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया था। पीएम के बाद शव को सीधे घर भिजवा दिया गया।
दीपक की हरकत की सजा मेरी मासूम दिव्यांग बहन को क्यों मिली। आरोपी राधामोहन और उसके साले अमित तिवारी को इतना दया नहीं आई कि जो बच्ची अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती है, उसकी जलाकर हत्या कर दी। आरोपी का एक रिश्तेदार थानेदार है, जो अभी बैरागढ़ थाने में तैनात है। वह पहले निशातपुरा थाने में भी पदस्थ रह चुका है। उसकी मदद से पुलिस और राधा मोहन बार-बार हमारे परिवार को धमका रहा था। उसके भाई की भी हत्या की सजिश रची जा रही थी। जबकि दोनों ही परिवार को पता था कि दीपक और लड़की के बीच प्रेम प्रसंग है। दीपक तो हैदराबाद में प्राइवेट काम करता है। जान देने की धमकी देकर लड़की ने उसे भोपाल बुलाया था।
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