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हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर गुरुवार देर रात करीब 1 बजे पातलकोट एक्सप्रेस से एक इलेक्ट्रीशियन गिर गया। वह आधे घंटे तक प्लेटफार्म पर दर्द से तड़पता रहा, लेकिन उसकी मदद को कोई नहीं आया। लहूलुहान हालत में उसने जैसे-तैसे अपने चचेरे भाई को फोन कर स्टेशन बुलाया और अस्पताल पहुंचा। लेकिन अस्पताल में उपचार में सुस्ती और ढुलमुल रवैये के कारण उसकी मौत हो गई। दुख की बात यह है कि वह अपने मामा की तेरहवीं में शामिल होने अपने पिता, चाचा और अन्य रिश्तेदारों के साथ छिंदवाड़ा जा रहा था।
हैरत की बात ये है कि इलेक्ट्रीशियन गिरने के बाद आधे घंटे तक प्लेटफार्म पर पड़ा रहा, लेकिन न तो उसे आरपीएफ-जीआरपी के गश्ती जवानों ने देखा न ही किसी और की मदद मिली। अगर समय रहते उसे अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उसकी जान बच सकती थी।
जीआरपी हबीबगंज थाना प्रभारी बीएल सेन के अनुसार गुलमोहर में रहने वाले 38 वर्षीय नारायण सिंह चौहान इलेक्ट्रीशियन थे। वह अपने पिता भागीरथ चौहान, चाचा और रिश्तेदारों के साथ छिंदवाड़ा जा रहे थे। उनके मामा की मृत्यु के बाद उनकी शुक्रवार को तेरहवीं थी।
मृतक के पिता भागीरथ सिंह चौहान ने बताया कि छिंदवाड़ा जाने के लिए हम लोग हबीबगंज स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 पर खड़े थे। तभी लोग जनरल डिब्बे में चढ़ने लगे। डिब्बे में भीड़ ज्यादा हो गई तो बेटा उतरकर दूसरे डिब्बे में बैठने जा रहा था। उनको तो पता ही नहीं चला कि वह ट्रेन से कब गिरकर घायल हो गया।
मृतक के चचेरे भाई माखन चौहान ने बताया कि उसके पास नारायण का फोन आया था कि वह ट्रेन से गिर गया है। मैं तीन किमी बाइक चलाकर स्टेशन पहुंचा, जहां देखा कि वह दर्द से तड़प रहा था। एक पुलिसकर्मी और कुलियों की मदद से उसको 108 से जेपी अस्पताल लेकर पहुंचा, यहां इलाज करने की बजाय डाक्टरों ने हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया।
मृतक के चचेरे भाई माखन चौहान ने हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दो बजे के करीब अपने भाई को लेकर हमीदिया पहुंच गया था। जहां उसका उपचार ही शुरू नहीं किया गया। डॉक्टर एक घंटे तो इधर से उधर जांच कराने के लिए दौड़ाते रहे, एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो पाया था। अगर डॉक्टर समय रहते उपचार शुरू कर देते तो जान बच सकती थी, लेकिन वह तो सीनियर और जूनियर में ही अटके थे।
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