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मध्यप्रदेश में आमतौर पर कोई भी प्रकरण जब जांच के लिए सीआईडी को सौंपा जाता है तो समझ लो वह ठंडे बस्ते में चला गया। ज्यादातर ऐसे मामलों से जुड़े रसूखदारों को जांच के नाम पर लाभ पहुंचाया जाता है। मामलों में जांच अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचते-पहुंचते उनके पक्ष में पहुंच जाती है, जिन्हें बचाना होता है ।
डभौरा कांड, जयपुर मिरेकल्स दुष्कृत्य कांड, पूर्व आईजी आरके माथुर का मामला सहित ऐसे कई चर्चित मामले रहे हैं। पुलिसिया भाषा में सीआईडी को डंपिंग यार्ड भी कहते हैं। ऐसे कुछ मामले हैं जिनमें सीआईडी अब तक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
गौरव राजपूत
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी गौरव राजपूत के खिलाफ शराब माफिया के साथ सांठ-गांठ कर ठेके में गड़बड़ी की जांच सीआईडी की विजिलैंस इकाई कर रही है। शिकायत के समय वह कटनी में एसपी थे उनको हटा दिया गया लेकिन निष्कर्ष अब तक नहीं आए ।
टीके विद्यार्थी
राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी विद्यार्थी के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई है। पिछले साल यह शिकायत हुई है जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सीआईडी की विजिलैंस इकाई उनकेखिलाफ जांच के नाम पर लीपा-पोती कर रही है।
बालाघाट पिटाई कांड
बालाघाट में आरएसएस के प्रचारक के साथ मारपीट के मामले की सीआईडी विजिलेंस इकाई जांच कर रही है। इस मामले को लेकर पुलिस के आला अफसरों तक को हटाया गया था जिससे मामले ने काफी तूल पकड़ा है। सीआईडी चार महीने से इसकी जांच कर रही है अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है ।
एके पांडे
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी एसपी सिवनी एके पांडे के खिलाफ सीआईडी की विजिलैंस इकाई जांच कर रही है। उनकेखिलाफ यह आरोप है कि वे असामाजिक तत्वों पर काबू नहीं कर पा रहे हैं। ना अपराध नियत्रित हुए ना दंगे रूके। पर सीआईडी की जांच जारी है।
डभोरा बैंक घोटाला
रीवा जिले में हुए करोड़ो रुपए के सहकारी बैंक घोटाले में पांच मैनेजर सहित 20 आरोपी बनाए गए थे। कई सालों की जांच के बाद भी आज सिर्फ चार लोगों के खिलाफ चालान पेश हुए और जांच अभी जारी है।
भोपाल यातायात पुलिस रसीद कट्टा कांड
भोपाल यातायात पुलिस द्वारा चालान की फर्जी रसीदें काटकर लाखों रुपए कई सालों तक बटोरे गए। मामला खुला तो पता चला कि यातायात पुलिस ने फर्जी रसीद कट्टे जांच छपवा लिए थे। सीआईडी ने जांच की तो बड़े अफसरों को बचा लिया गया छोटो की बलि चढ़ा दी गई।
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