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बुधवार को एमपीनगर से हबीबगंज थाने और हबीबगंज जीआरपी थाने के चक्कर लगाते -लगाते परेशान हो गए थे। कोई हमारी शिकायत ही सुनने का तैयार नहीं था, हबीबगंज जीआरपी के टीआई मोहित सक्सेना से सा़ढ़े तीन घंटे बहस के बाद भी वह एफआईआर दर्ज करने का तैयार नहीं थे। वह पुलिस अफसरों के सामने हमारी बेटी और हमें झूठा बता रहे थे। उनका कहना था कि फिल्मी स्टोरी सुना रही हो, तुम्हारी और बेटी की कहानी पूरी तरह से झूठी है। यह कहना है दरिंदगी की शिकार हुई छात्रा की मां का।
जिसने नवदुनिया से न केवल दर्द सांझा किया। बल्कि पूरे जीआरपी पुलिस की संवेदनशीलता की कलई खोलकर रख दी। किस तरह से घटना स्थल और साक्ष्यों के दिखाने के बाद उनको और उनके परिवार को उसी पुलिस परिवार से क्या झेलने का मिला। जिसका वह ख्ुाद भी हिस्सा हैं। उनकी पूरी बातचीत नवदुनिया के पास उपलब्ध है। उनका सीधा आरोप है कि उनकी फरियाद सुनने के वजह जीआरपी पुलिस ने उनसे इतने सवाल किए, जितने किसी घोषित अपराधी से भी पुलिस नहीं करती है।
जानकारी के अनुसार घटना के बाद दिन छात्रा की मां अपनी बेटी से बराबर संपर्क में थी। उससे वह फोन पर लगातार फोन पर बात कर रही थी। वह जिस ट्रेन से रोजाना आती थी, वह ट्रेन लेट थी, बेटी ने उनको बताया था कि जीटी एक्सप्रेस का समय हो रहा है। वह उससे बैठकर घर जाएगी। इसके बाद वह आधे घंटे के बाद छात्रा की मां ने बेटी को फोन किया तो वह लगा नहीं । फोन स्पीच ऑफ बता रहा था। वह बार- बार फोन करती रही, लेकिन उसका फोन नहीं लगा। चिंता होने पर उन्होंने अपने पति से फोन पर बात की और बताया कि बेटी का फोन नहीं लग रहा है। रात दस बजे के आसपास उनके पास आरपीएफ थाने से बेटी के साथ अनहोनी हो जाने का फोन आ गया।
पीड़िता की माँ ने बताया कि हबीबगंज जीआरपी थाने के टीआई मोहित सक्सेना और एसआई धु्रवे एफआईआर दर्ज करने को राजी नहीं थे। उनको पूरा घटनाक्रम बताया। बेटी ने उनको पूरा घटनास्थल घूमाया। लेकिन वह एक ही बात बोले जा रहे थे। फिल्मी कहानी सुना रही हो। पूरी घटना झूठी है। उनसे तीन घंटे तक बहस हुई । पूरा विवरण अच्छी तरह से समझाया। इस दौरान एक आरोपी पकड़ में आ गया था। फिर भी वह मामले को टालते रहे। जब हबीबगंज के टीआई और बाकी पुलिस अफसरों ने यह भी कहा कि वह एफआईआर दर्ज करने को राजी है। तब जाकर जीआरपी टीआई एफआईआर दर्ज करने को तैयार हुए । इस एफआईआर होते - होते शाम के पांच बज गए थे।
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