ईओडब्ल्यू में खुल रही हैं बिल्डरों के फर्जीवाड़े की परतें
कोलार नगर पालिका के भोपाल नगर निगम में विलय से पहले स्थानीय अमले के साथ मिलकर बिल्डरों ने भवन अनुज्ञा की अनुमतियों का जो खेल खेला, उसकी परतें धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। नगर पालिका दफ्तर में छापे के दौरान राज्य आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं उनकी जांच से कई बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इस जांच से क्षेत्र में सहकारी गृह निर्माण समितियों की आड़ में भूमि की बंदरबांट के मामले भी सामने आ सकते हैं।ब्यूरो ने गुमनाम शिकायत के आधार पर तत्कालीन कोलार नगर पालिका क्षेत्र में भवन अनुज्ञा संबंधी अनुमतियों की पड़ताल कराई थी। गुप्त कार्रवाई के बाद पालिका के दफ्तर की परमीशन शाखा में छापा मारकर फाइलें जब्त की गईं। करीब 22 बिल्डरों के मामलों को पहली नजर में संदिग्ध पाया गया।एक मामले की जांच के बाद पालिका के अधिकारियों सहित कुछ बिल्डरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। सूत्रों का कहना है कि जैसे-जैसे फाइलों का नंबर आएगा, वैसे-वैसे प्रकरण दर्ज होते जाएंगे। बताया जा रहा है कि बिल्डरों ने पालिका अधिकारियों से मिलीभगत करके काफी फर्जीवाड़ा किया है।गड़बड़ियां 2009 से 2013 के बीच अंजाम दी गईं। सर्वधर्म कॉलोनी की 39 एकड़ भूमि बिल्डर को बेचने का मामला भी सामने आया है। कुछ प्रकरणों में सरकारी जमीन पर भी बिल्डिंग की परमीशन दे दी गई। गलत इरादे से पहले परमीशन दी गई और कुछ दिनों बार निरस्त कर दी।इसी तरह कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र भी बिल्डिंग परमीशन के कुछ हफ्तों बाद ही जारी हो गए। ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि राजस्व, सहकारिता और अन्य कानूनों से जुड़ा मामला होने से बारीकी से परीक्षण के बाद प्रत्येक मामले में अलग-अलग प्रकरण दर्ज किए जाएंगे।