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देश का सबसे चर्चित परीक्षा घोटाला बन चुके मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मामले की सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने साल 2008 से 2012 के बीच मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में हुए 634 दाखिलों को रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने छात्रों की तरफ से दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
इससे पहले, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में भी इस मामले पर एडमीशन रद्द करने का फैसला सुनाया गया था। मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा माना जाता है।
इस आदेश का असर 2008 से 2012 के बीच मध्यप्रदेश में एमबीबीएस करने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स के कॅरियर पर पड़ेगा। दूसरी ओर सीबीआई ने इस मामले की पड़ताल को पूरा करने के लिए देशभर के साढ़े नौ लाख मेडिकल स्टूडेंट्स का रिकॉर्ड खंगालकर आरोपियों के नाम निकाले थे।
व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद साल 2008-12 में सभी दाखिले रद्द कर दिए गए थे। फर्जीवाड़े में मप्र सरकार के कई मंत्रियों और नेताओं के नाम इस मामले में आए थे। यहां तक कि पूर्व राज्यपाल पर भी आरोप लगे थे। घोटाले से जुडे़ कई लोगों की संदिग्ध मौत के बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई।
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