Advertisement
मध्यप्रदेश में आईएसआई के जासूसी नेटवर्क को तोड़ने में आर्मी के इंटेलिजेंस ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। सूत्रों के मुताबिक सेना मुख्यालय से भोपाल आए एक वरिष्ठ आर्मी अफसर की निगरानी में ही एटीएस ने इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया है ।
बताया जाता है आर्मी इंटेलिजेंस और चार इमली स्थित सेंट्रल इंटेलिजेंस दो महीने से लगातार संपर्क में थी। दोनों के ही इनपुट के पुख्ता होने के बाद 8 फरवरी को दोपहर साढ़े चार बजे एयरक्राफ्ट से आर्मी के सीनियर अफसर पीएम हरीज भोपाल आए और सीधे थ्री ईएमई सेंटर पहुंचे जहां आर्मी अफसरों के साथ बैठक की, इसमें उनके साथ इंटेलिजेंस के कुछ अफसर भी शामिल थे, उनके भोपाल आने के 24 घंटे बाद मप्र एटीएस ने इस पूरे मामले का खुलासा किया।
आईएसआई के जासूसी नेटवर्क का खुलासा होने के दूसरे दिन आर्मी चीफ विपिन रावत सुबह आठ बजे के करीब भोपाल पहुंचे, उन्होंने थ्री ईएमई सेंटर में आईएसआई जासूसी खुलासे की विस्तार से जानकारी ली और उसके बाद वह दोपहर को वापस दिल्ली रवाना हो गए थे। उनके जाने के एक घंटे बाद आर्मी अफसर पीएम हरीज भी पौने चार बजे (एयरपोर्ट रिकार्ड के अनुसार) दिल्ली के लिए रवाना हो गए । आर्मी चीफ और आर्मी अफसर के कार्यक्रम को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। लोकल पुलिस को सिर्फ उनके आने जाने की जानकारी मुहैया कराई गई थी।
एटीएस सूत्रों की मानें तो आईएसआई ने इस मामले की अहम कड़ी ध्रुव सक्सेना को इस नेटवर्क में शामिल करने के लिए पैसे के साथ साथ हनी ट्रैप (लड़कियों का इस्तेमाल) का इस्तेमाल भी किया। ध्रुव के साथ रहने वाली अशिया नाम की एक युवती का नाम भी सामने आया हैं,पड़ोसियों ने इस बात की पुष्टि की है कि वह ध्रुव के साथ कुछ दिनों से देखी जा रही थी। उसके भी गिरफ्तार होने की बात सामने आई है, लेकिन एटीएस के अफसर इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
ध्रुव सक्सेना को भोपाल में आईएसआई जासूसी नेटवर्क का मास्टर माइंट बताया जा रहा है। छतरपुर से भोपाल आने के बाद वह एक कॉल सेंटर चलाता था,उसमें घाटा होने के बाद उसको काफी नुकसान हो रहा था। सतना से मप्र एटीएस के हाथ लगे बलराम के एक रिश्तेदार की मुलाकात ध्रुव से हुई थी। ध्रुव ने भोपाल में समांतर एक्सचेंज खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। सबसे पहले उसने एक्सचेंज के टेक्नीकल स्पोर्ट के लिए मोहित अग्रवाल को अपने साथ शामिल किया।
पुलिस सूत्रों की मानें तो धु्रव सक्सेना को मनीष गांधी सिम उपलब्ध करवाने का काम करता था। उसने फर्जी आईडी पर 500 के करीब सिम ध्रुव को सिम मुहैया करवाई थी। एक सिम का तीन बार उपयोग करने के बाद उसको तोड़ दिया जाता था। हालांकि शुरुआत में ध्रुव ने मनीष गांधी को सिर्फ इतना बताया था कि वह सट्टा संचालित करने के लिए सिम मांग रहा है।
मोहित अग्रवाल को साकेत नगर में रहने वाला पूरा भूमिगत हो गया है। उनके बारे में कोई जानकारी नहीं लग पा रही है। मोहित अग्रवाल का नाम आईएसआई जासूसी में सामने के बाद पड़ोसी भी अब बात करने का राजी नहीं हो रहे हैं। इधर, छतरपुर में ध्रुव सक्सेना के परिवार से भी पूछताछ की जा रही है। हालांकि, ध्रुव सक्सेना की मां रजनी सक्सेना ने अपने बेटे का निर्दोष बताया है।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |