जेके अस्पताल में गिरने से बुजुर्ग की मौत
प्रबंधन की लापरवाही से हुआ हादसा मुझे खुशी थी कि शिविर में मेरे पिता का मोतियाबिंद का आॅपरेशन होगा। उन्हें आॅपरेशन के बाद राहत मिलेगी, लेकिन किसे पता था कि जे के अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से मेरे पिता की जान चली जाएगी। यह कहना है जेके अस्पताल की चौथी मंजिल गिरकर मौत हुई बुजुर्ग सोमित सिंह के बेटे सुरेश कुमार शॉक्य का। उनके बेटे का कहना है कि जेके अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही से मेरे पिता की जान गई है।बेटे का आरोप है कि जब पिता का 6 तारीख को मोतियाबिंद का आॅपरेशन हुआ तो, उन्हें अकेले क्यों छोड़ा। वे आॅपरेशन के बाद बाहर रेलिंग पर क्या कर रहे थे। कोई संभालने के लिए ड्यूटी डाक्टर या नर्स भी मौजूद नहीं थी, ऐसे में कौन इस हादसे की जिम्मेदारी लेगा। जबकि मैंऔर मेरी मां ने तो रुकने के लिए कहा था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने ही रुकने से मना कर दिया। ऐसे में प्रशासन को प्रबंधन पर कार्रवाई करना चाहिए, ताकि आगे से ऐसा न हो। गौरतलब है गुरुवार को कोलार रोड स्थित जेके अस्पताल की चौथी मंजिल से गिरकर बुजुर्ग सोमित सिंह की मौत हो गई। उन्हें आॅख के आॅपरेशन के लिए तीन दिन पहले लाया गया था। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन अपनी लॉपरवाही मानने की जगह वह खुद मृतक को ही जिम्मेदार मान रहा है। उनका कहना है कि हादसा गुटखा थूकने के दौरान हुआ है। वहीं बेटे ने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही बताई है। जिस पर परिजन प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।हादसे के बाद सीसीटीवी में मृतक सोमनाथ अकेला नजर आ रहा है। उसे तुरंत आॅपरेशन के बाद अकेला क्यों छोड़ा गया। हादसा लापरवाही की वजह से हुआ है। जहॉ से वे गिरे है,वह से रेलींग थी। क्या आॅपरेशन के बाद उन्हें चलने में चक्कर आने जैसी स्थिति निर्मित हुई थी। जबकि मरीज का आॅपरेशन के बाद बिस्तर से उठने क्यों दिया , जॉच में पुलिस प्रबंधन को बचा रही है। जबकि अस्पताल की लापरवाही से पिता की जान गई है।मुझे अस्पताल प्रबंधन ने सुबह 8 करीब सूचना दी कि आपके पिता कि तबीयत खराब ज्यादा है, मै गॉव से जेके अस्पताल 11 बजे पहुंचा, देखा तो पिता नहीं रहे है। वे बोल रहे पोस्टमार्डम के बाद शव घर ले जाए। क्या हुआ,कैसे हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे प्रबंधन ने झूठी सूचना क्यों दी।अस्तपताल में इस घटना के उजागर होने के बाद कई परिजन अपने मरीजों को दूसरे अस्पताल ले गए हैं। इन परिजनों का कहना है कि जहां मरीजों के प्रति इतनी लापरवाही है उस अस्पताल में इलाज कराना ठीक नहीं है।