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हनीट्रैप में फंसी भोपाल की चार महिलाओं से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। महिलाओं ने देर रात एटीएस के सामने खुलासे किए कि वे रसूखदार की पूरी जानकारी ले लेती थीं। उससे रुपए ऐंठे जा सकते हैं या कोई बड़ा काम करवाया जा सकता है, इसकी मालूमात पूरी कर लेती थीं। इसके बाद दोस्ती का जाल बिछाकर बातचीत का सिलसिला शुरू करती थीं।
भरोसा बढ़ते ही मिलने की जगह तय की जाती थी और उस जगह पहले जाकर हिडन कैमरा फिट कर दिया जाता था। वीडियो बनने के बाद यह तय किया जाता था कि उसका कैसे उपयोग किया जाए। रुपयों की जरूरत होती थी तो रकम तय कर ली जाती थी।
किसी का ट्रांसफर करवाना है या कोई ठेका दिलवाना है तो वह काम करवा लिया जाता था। वीडियो की दहशत इतनी होती थी कि उनकी बात कटती नहीं थी। अगर कोई काटता था तो फिर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाती थी।
पूछताछ के दौरान जांच एजेंसियां उस समय हैरत में पड़ गईं, जब महिलाओं ने बताया कि ब्लैकमेलिंग की शुरूआत ही एक करोड़ रुपए से होती थी। यानी वे अपना शिकार करोड़ों के आसामी को ही बनाती थीं।
जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने मध्यप्रदेश ही नहीं, महाराष्ट्र और राजस्थान के भी प्रशासनिक सेवाओं के कई अफसरों को शिकार बनाया है। जानकारी के अनुसार एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड के पास इंदौर से इनपुट मिला था कि कुछ महिलाएं हनीट्रैप कर अधिकारियों, व्यापारियों और नेताओं को अपने जाल में फंसा रही हैं।
एटीएस की जिम्मेदारी थी कि इस पूरे गिरोह को ध्वस्त किया जाए। निर्देश मिलने के बाद भोपाल पुलिस के चुनिंदा अफसरों के साथ एक टीम महिलाओं को उनके घरों से हिरासत में लेकर बुधवार रात गोविंदपुरा थाने पहुंची। जहां पर उनके परिजनों को साथ रखकर उनसे पूछताछ की गई।
नवागत नेताओं को बनाती थीं शिकार
इस गिरोह के टारगेट पर राजनीति में आने वाले नए नेता होते थे। वे नए नए रसूख के चलते आसानी से जाल में फंस जाते थे। हालांकि इस गिरोह की महिलाएं मंजे हुए जनप्रतिनिधियों के संपर्क में भी रह चुकी हैं। उनके फुटेज भी जांच एजेंसी बरामद कर चुकी है।
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