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गुलमोहर के सेवाय कॉम्प्लेक्स स्थित एसबीआई की एक एटीएम मशीन लंबे समय से खराब थी। इसका पता किसी को हो या न हो, लेकिन आरोपी यह अच्छी तरह से जानता था। यही कारण था कि उसने उसी एटीएम को क्लोनिंग के लिए चुना। यह खुलासा क्लोनिंग का शिकार हुए पीड़ितों से बातचीत में हुआ।
उदाहरण - 1 : दानिश कुंज निवासी एस बासु (69) डिफेंस से रिटायर्ड हैं। वे 8 जुलाई की दोपहर 12 बजे अपनी बेटी शर्मिली के एटीएम कार्ड से रुपए निकालने गए थे। पहले एटीएम में कार्ड और पासवर्ड डालने के बाद कुछ नहीं हुआ तो बाजू वाले एटीएम से 5 हजार रुपए निकाल लिए। बुधवार दोपहर में एसएमस से पता चला कि उनके खाते से 10-10 हजार और 8 हजार करके 28 हजार रुपए अहमदाबाद से निकाले हैं।
उदाहरण - 2 : नमिता यादव ने बताया कि उन्होंने 8 जुलाई को सेवाय कॉम्प्लेक्स स्थित एटीएम से रुपए निकाले। पहली मशीन में कार्ड लगाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो दूसरी मशीन से रुपए निकाले। बुधवार को एसएमएस आया कि खाते से 70 हजार रुपए निकाल गए हैं।
गत 8 जुलाई को रुपए निकलने पहुंचे लोगों ने पहली मशीन में कार्ड लगाकर पासवर्ड एंटर किया, लेकिन कोई प्रोसेस नहीं होने पर उन्होंने कार्ड निकालकर दूसरी मशीन से रुपए निकाल लिए। तीन दिन बाद उन सभी के खाते से एक-एक कर एटीएम से रुपए निकाल लिए गए। आरोपी ने एटीएम मशीन की स्क्रीन के एक कोने में हिडन (गुप्त) कैमरा लगा दिया था। स्क्रीन पर माइक्रो कैमरा होने के कारण किसी को वह नजर ही नहीं आया। इससे ही पूरा वीडियो रिकॉर्ड हो गया।
एटीएम में कैमरे से लेकर गार्ड तक तैनात रहता है, लेकिन न तो किसी को कुछ संदिग्ध लगा और न ही किसी का उस पर ध्यान नहीं दिया। बताया जाता है कि एटीएम की मशीन का लॉक काफी पुराना हो चुका था। ऐसे में वह कई बार लगता नहीं था, जिससे मशीन का रख-रखाव करने वाले ने इसे ऐसे ही छोड़ दिया होगा। लॉक पुराने होने की पुष्टि भी हुई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पूरे फर्जीवाड़े में योजना बनाने से लेकर रुपए निकालने तक में कम से कम 15 दिन लगे होंगे। इसके लिए एक से अधिक आरोपियों के भी शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
पहला - आरोपी ने पहले तो एसबीआई के एटीएम मशीन के बारे में जानकारी जुटाने के बाद ऐसे सेंटर को चुना जहां क्लोनिंग करने में आसानी हो। इसके लिए उसने गार्ड से दोस्ती कर उससे मशीन की पहले तो जानकारी ली होगी और फिर गार्ड को यहां-वहां कर कैमरे और स्क्रीमर लगा दिया हो।
दूसरा - यह भी हो सकता है कि आरोपी ने रात का वह समय चुना हो, जब गार्ड सो रहा हो। रात में बहुत की कम लोग एटीएम का उपयोग करते हैं।
तीसरा - कंपनी के कर्मचारी की मिली भगत से आरोपियों ने बड़ी आसानी से कैमरा और स्क्रीमर लगा दिया होगा।
कैमरा - यह महज एक हजार रुपए का आता है। एक बटन के बराबर यह कैमरा एटीएम मशीन की स्क्रीन पर अंदर से लगाया जाता है। छोटी से बैटरी पर चलता है, जो वायरलेस और ब्लूटूथ से ऑपरेट होता है।
स्क्रीमर - यह कार्ड लगाने वाली जगह पर ऊपर से लगता है। हालांकि सामान्य तौर पर नहीं पकड़ा जा सकता, लेकिन एटीएम मशीन संचालित करने वाले इसे पकड़ सकते हैं। कुछ सौ रुपए में हर तरह के एटीएम के लिए यह बाजार में उपलब्ध हैं।
कार्ड क्लोनिंग मशीन - इसे किसी भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट से महज 500 रुपए में खरीद सकते हैं। इससे स्क्रीमर से प्राप्त जानकारी से क्लोन कार्ड बन जाता है। यह होटल में कार्ड की बनाने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसी का उपयोग जालसाज क्लोनिंग कार्ड के लिए करने लगे हैं।
कार्ड क्लोनिंग डिवाइस महज 500 रुपए में मिल जाते हैं। इससे आप चाहे जितने कार्ड बना सकते हैं। इसी के मदद से आरोपी ने इतने सारे कार्ड के क्लोनिंग तैयार कर वारदात को अंजाम दिया। -पंकज वर्मा, सायबर एक्सपर्ट
सायबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल शोभित चतुर्वेदी कहते हैं देश में सायबर क्राइम बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए इथीकल हैकिंग के नाम पर चल रहे कोर्स हैं, जिन्हें कहीं से मान्यता नहीं है। बच्चे लालच में आकर कोर्स तो कर लेते हैं, लेकिन जॉब नहीं मिलने के कारण इस तरह के अपराध में लिप्त हो जाते हैं। उन्हें थोड़ी बहुत जानकारी होती है। आने वाले समय में इसके कारण सायबर क्राइम और बढ़ेगा। इसके लिए पूरा सिस्टम ही दोषी है।
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