10 सालों से 500 बदमाशों की करवाई फर्जी जमानत।
चाय के ठेले पर फर्जी जमानत का 'धंधा', देशद्रोहियों को मिली जमानत, फरारराजधानी समेत आस-पास की जिला अदालतों में फर्जी जमानतदारों के बीस से ज्यादा गिरोह संचालित किए जा रहे हैं। फर्जी ऋण पुस्तिका को अदालत में पेश कर मारपीट से लेकर देशद्रोह के मामलों में भी जमानत भरने में उन्हें कोई परेशानी नहीं आती। इस बात पर मोहर उस वक्त लग गई, जब भोपाल क्राइम ब्रांच ने ऐसे ही एक गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया। ये गिरोह दस साल से काम कर रहा है और अब तक पांच सौ से ज्यादा बदमाशों की फर्जी जमानतें ले चुका है। पुलिस को शक है कि कुछ वकीलों की मदद के बगैर ये गिरोह संचालित करना मुमकिन नहीं।दिसंबर 2014 में क्राइम ब्रांच ने नकली नोट की तस्करी करने वाले नेपाल के गैसूल आलम और जौवाद आलम को गिरफ्तार किया था। एएसपी शैलेंद्र सिंह चौहान के मुताबिक दोनों को जमानत मिल गई। दोनों पेशी से नदारद हुए तो उनके जमानतदारों की तलाश की। उनकी जमानत कोलार निवासी जीवन सिंह मीना ने ली थी। पूछताछ में उसने दोनों आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया। बताया कि उसने गुना निवासी साठ वर्षीय बसंत श्रीवास्तव के कहने पर जमानत भरी थी। उसे पांच हजार रुपए मिले थे। इस आधार पर पुलिस ने बसंत समेत उसकी मदद करने वाले जीवन, गणेश मकवाना और बीरेंद्र सोलंकी को भी गिरफ्तार किया। गिरोह का सरगना राजू मीना अभी फरार है।ऋण पुस्तिका भी फर्जी - जीवन ने जिस जमीन की ऋण पुस्तिका को जमानत के लिए लगाया था, उसमें पांच अदालतों में दी गई जमानतें दर्ज थीं। लेकिन इसमें गैसूल आलम और जौवाद आलम की दो-दो लाख रुपए की जमानत दर्ज नहीं थी। अदालत में पेश ऋण पुस्तिका का मिलान करने पर पता चला कि जमानत के दस्तावेज में पटवारी के हस्ताक्षर के नीचे तारीख अंकित नहीं थी। यानी अदालत में पेश ऋण पुस्तिका फर्जी थी। फर्जी ऋण पुस्तिका बनाने का काम भी बसंत ने ही किया था। दस फीसदी लेकर होता है धंधा - पुलिस ने जीवन को दस दिसंबर तक रिमांड पर लिया है। गिरोह का सरगना राजू मीना दस साल से इस धंधे में है। वह अब तक करीब पांच सौ लोगों को फर्जी जमानतें दिलवा चुका है। 113 फर्जी जमानतों का रिकॉर्ड पुलिस के हाथ लग चुका है। एएसपी के मुताबिक जमानत की रकम का दस फीसदी लेकर वह जमानतें भरवाता है। भोपाल जिला अदालत के बाहर चाय की दुकान और ठेलों पर फर्जी जमानतदारों का जमावड़ा लगता है। सभी की नजर ऐसे लोगों पर होती हैं, जो जमानतदार के लिए परेशान हो रहे हों।निरस्त होंगी सभी आरोपियों की जमानतेंएएसपी के मुताबिक आरोपियों के पास से जब्त की गईं ऋण पुस्तिका के आधार पर अदालत से जानकारी मांगी गई है। इससे ये पता चल जाएगा कि आरोपियों ने किन-किन अपराधों में किस-किस आरोपी की जमानत ली है। इसके आधार पर पुलिस उनकी जमानतें निरस्त करवाएगी। आरोपियों के कब्जे से दस्तावेजों समेत तहसीलदार की सील भी जब्त की है।कई लोग चला रहे रैकेट - पुलिस का दावा है कि राजू जैसे बीस से ज्यादा लोग इस तरह का रैकेट चला रहे हैं। वह उन्हीं लोगों को अपने गिरोह में शामिल करता था, जिनके पास ऋण पुस्तिका हो। जमानत भरने वाले व्यक्ति को राजू आरोपी के परिवार से मिलवाता था। वह जरूरी जानकारी हासिल करता था, जिसके बारे में जज सवाल कर सकते हों। बाद में राजू जज द्वारा पूछे जाने वाले सवालों पर रिहर्सल करवाता था।