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जबलपुर। स्वास्थ्य विभाग में संविदा कर्मियों के ट्रांसफर और कैंसिल मामले में अब कानूनी हस्तक्षेप हुआ है तथा एनएचएम की सलोनी सिडाना और कलेक्टर दीपक सक्सेना को हाईकोर्ट से नोटिस जारी हुआ है। हाईकोर्ट ने जबलपुर कलेक्टर के आदेश को अवैध मानते हुए आठ कर्मियों के ट्रांसफर रद्द करने के आदेश को स्थगित कर दिया।
दरअसल, जबलपुर कलेक्टर ने
एक आदेश निकाल ग्रामीण क्षेत्रों के कर्मियों को शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में स्थानांतरित किया था। लेकिन कुछ दिन बाद एनएचएम भोपाल से एक पत्र के आधार पर इन तबादलों को रद्द कर दिया गया। इस पर आठ संविदा कर्मियों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
जस्टिस मनिंदर एस. भट्टी की सिंगल बेंच ने प्राथमिक सुनवाई के आधार पर ट्रांसफर निरस्त करने के कारणों को गलत ठहराया। कोर्ट ने आठ जुलाई 2025 को कलेक्टर द्वारा जारी ट्रांसफर कैंसिल आदेश को स्थगित कर दिया। इसके साथ ही कर्मचारियों को राहत देते हुए, अगली सुनवाई तक उन्हें नए ट्रांसफर स्थान पर कार्यरत रहने की छूट दी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि कलेक्टर ने बिना नोटिस दिए, बिना किसी सुनवाई के कर्मचारियों को पिछली जगह पर ही भेजने का आदेश पारित कर दिया। इस ट्रांसफर को कैंसिल करने के लिए एनएचएम से जो निर्देश दिए गए थे और कलेक्टर के द्वारा जो आदेश जारी किया गया। दोनों लेटर्स में जिस पत्र का हवाला दिया गया था वह नगण्य था। क्योंकि उसमें ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में हो रहे ट्रांसफरों पर कोई रोक नहीं थी।
हाईकोर्ट ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एनएचएम की संचालक सलोनी सिडाना और जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई एक सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है।
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