Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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मध्य प्रदेश के जबलपुर से भोपाल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-45 पर देश की पहली टेबल टॉप रेड मार्किंग सड़क तैयार की गई है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा बनाई गई इस सड़क को लोग ‘रेड कारपेट रोड’ के नाम से पहचानने लगे हैं। यह सड़क न केवल सुंदर है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण साबित होगी। यह सड़क विशेष रूप से वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के पास से गुजरती है, जहां बाघ, तेंदुआ, हिरण और सांभर जैसी प्रजातियां अकसर मार्ग पार करती हैं। सड़क पर 5 मिलीमीटर मोटी उभरी हुई लाल रंग की मार्किंग और टेबल टॉप तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे वाहन चालक की स्पीड अपने आप कम होती है और वन्यजीव सुरक्षित रहते हैं। इसके अलावा, सड़क के दोनों किनारों पर सफेद शोल्डर लाइनें और 25 अंडरपास बनाए गए हैं। 11.9 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 122 करोड़ रुपए है और इसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यात्रियों का कहना है कि लाल रंग की वजह से सड़क बेहद खूबसूरत लग रही है, जैसे कोई रेड कारपेट बिछा हो। इस नई तकनीक से वन्यजीव सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है और यह देश में वन्यजीव संरक्षण और सड़क विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुकी है।
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मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कड़े नियम लागू कर दिए गए हैं। सतपुड़ा, पेंच, बांधवगढ़ समेत प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में पर्यटकों के मोबाइल फोन उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। नई व्यवस्था 16 दिसंबर से प्रभावी हो चुकी है। इसके तहत अब पर्यटक कोर एरिया में मोबाइल फोन से न तो फोटो ले सकेंगे और न ही वीडियो बना सकेंगे। अधिकारियों के अनुसार, यह फैसला वन्यजीवों की प्राकृतिक गतिविधियों में किसी तरह की बाधा न पहुंचे, इसे ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप है, जिसमें वन्यजीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं। मोबाइल कैमरे, फ्लैश और लगातार होने वाली गतिविधियों से वन्यजीवों के व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसी को देखते हुए कोर एरिया को पूरी तरह ‘डिस्टर्बेंस फ्री जोन’ बनाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही टाइगर रिजर्व के बफर जोन में नाइट सफारी पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि रात के समय सफारी से टाइगर और अन्य वन्यजीवों की स्वाभाविक दिनचर्या प्रभावित होती है। नई व्यवस्था से उन्हें शांत और सुरक्षित वातावरण मिलेगा। हालांकि इस फैसले से पर्यटकों को अब सफारी का अनुभव बिना मोबाइल के करना होगा, लेकिन इसे वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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दिल्ली सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ‘नो PUC, नो फ्यूल’ अभियान को पूरी सख्ती के साथ लागू किया है। अभियान के पहले दिन ही राजधानी में 61,000 से अधिक वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) जारी किए गए। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि वैध PUC के बिना किसी वाहन को ईंधन नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि यह नियम लोगों को असुविधा तो पहुंचा सकता है, लेकिन यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि राजधानी में चलने वाले वाहन प्रदूषण फैलाए बिना चलें। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सरकार वाहनों से निकलने वाला धुआं, सड़कों और निर्माण स्थलों की धूल, उद्योगों से होने वाला प्रदूषण और कचरा प्रबंधन के चार मोर्चों पर काम कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभियान चालान काटने के लिए नहीं बल्कि लोगों की सेहत बचाने के लिए है। बीएस-6 मानकों से नीचे के गैर-जरूरी बाहरी वाहनों के प्रवेश पर भी सख्ती लागू की गई है और पेट्रोल पंपों पर नियम कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
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राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन में यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 64,000 से अधिक वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (VLTS) और पैनिक बटन लगाने का काम जारी है। यह सिस्टम यात्रियों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग करेगा और आपात स्थिति में तुरंत मदद उपलब्ध कराएगा। सभी DTC बसों में पहले से ही GPS डिवाइस और पैनिक बटन लगे हैं, और अब टैक्सी और ऑटो में भी इसे स्थापित किया जा रहा है, ताकि राजधानी के 2-3 लाख सार्वजनिक वाहनों में यह सुरक्षा सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो। कश्मीरी गेट बस टर्मिनल स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC) से पूरे सिस्टम की निगरानी की जाएगी। किसी यात्री द्वारा पैनिक बटन दबाने पर अलर्ट तुरंत अधिकारियों तक पहुंच जाएगा और तत्काल मदद उपलब्ध कराई जाएगी। यह योजना केंद्र और दिल्ली सरकार के सहयोग से चलाई जा रही है, जिसमें नया अपग्रेडेड VLTS सिस्टम पुराने AIS-140 सिस्टम की खामियों को दूर करता है और सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा में सुधार का भरोसा देता है।
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मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। जावद विधानसभा क्षेत्र में ब्लॉक अध्यक्षों की हालिया नियुक्तियों के विरोध में 30 से अधिक ब्लॉक, नगर और बूथ स्तर के पदाधिकारियों ने एक साथ इस्तीफे दे दिए हैं। रतनगढ़ में शंभू चारण और सिंगोली में सत्तूलाल धाकड़ सहित जिले में 11 ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद यह असंतोष खुली बगावत में बदल गया, जिसकी गूंज व्हाट्सएप और सोशल मीडिया तक सुनाई दे रही है। इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहना है कि उन्हें नियुक्तियों से नहीं, बल्कि जावद क्षेत्र पर बाहर से नेतृत्व थोपे जाने से आपत्ति है। नगर अध्यक्ष, किसान कांग्रेस पदाधिकारी, बीएलए-2 और बूथ प्रभारी जैसे संगठन की रीढ़ माने जाने वाले कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि स्थानीय और संघर्षशील नेताओं की अनदेखी कर फैसले थोपे जा रहे हैं। यह विवाद अब केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और इंदौरी नेतृत्व के बीच सीधी टकराहट का रूप ले चुका है। कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि जावद विधानसभा में कांग्रेस पिछले 22 वर्षों से सत्ता से बाहर है, इसके बावजूद जमीनी संगठन को मजबूत करने के बजाय ऊपर से फैसले थोपे जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में समंदर पटेल का नाम आक्रोश के केंद्र में है। आरोप हैं कि जावद की राजनीति इंदौर से नियंत्रित हो रही है और जिन पर चुनावों में भाजपा के लिए काम करने के आरोप रहे, उन्हें पद दिए गए। असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि संगठन में निष्ठा और संघर्ष की जगह अब सिफारिश और पैसे को तरजीह दी जा रही है।
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लोकसभा में VB-G-RAM-G विधेयक के पारित होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि MGNREGA योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना शर्मनाक है और यदि केंद्र ऐसा नहीं कर सकता, तो वे राज्य स्तर पर राष्ट्रपिता का सम्मान सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने राज्य की सरकारी नौकरी गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ का नाम बदलने का भी ऐलान किया, जिससे ग्रामीण रोजगार की मान्यता और सम्मान बना रहे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वे VB-G-RAM-G विधेयक का पुरजोर विरोध करेंगी। उनका कहना था कि यह विधेयक MGNREGA योजना को पूरी तरह समाप्त कर देगा, जिसने कोविड काल में भी गरीब मजदूरों को सहारा दिया। उन्होंने विधेयक को श्रमिकों और गरीबों के खिलाफ बताया और इसे समाज के कमजोर वर्गों के लिए खतरनाक करार दिया। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि जी-राम-जी योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को कम करना था और गरीबों को सशक्त बनाना था। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों का हवाला देते हुए बताया कि यह योजना उसी सोच के तहत लाई गई थी। हालांकि, उन्होंने विधेयक पारित होने के दौरान विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए इसे पूरी तरह शर्मनाक बताया।
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इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी हनीमून मर्डर केस में मुख्य आरोपी सोनम रघुवंशी ने शिलांग कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल कर सबको चौंका दिया है। याचिका में सोनम ने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि उसके और राज कुशवाह के बीच केवल भाई-बहन जैसे संबंध थे। सोनम का दावा है कि वह अपनी शादी से खुश थी और उसे झूठा फंसाया गया है। सोनम की जमानत याचिका पर शिलांग कोर्ट ने सुनवाई की और फिलहाल अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। याचिका में सोनम ने बताया कि केस के लंबित रहने और उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत न होने के कारण उसे जमानत दी जानी चाहिए। सोनम ने कोर्ट में यह भी कहा कि हत्या के षड्यंत्र में उसके शामिल होने का आरोप गलत है। मृतक राजा रघुवंशी के इंदौर स्थित परिवार ने सोनम की जमानत याचिका का विरोध किया है। उनके भाई विपिन रघुवंशी ने आरोप लगाया कि सोनम के परिजन उसकी जमानत पाने में मदद कर रहे हैं। इस बहुचर्चित हत्याकांड में सोनम मुख्य आरोपी मानी जाती हैं, इसलिए यह देखना होगा कि शिलांग कोर्ट उन्हें जमानत देती है या नहीं।
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जबलपुर जिला अस्पताल में हाल ही में सामने आए ‘चूहा कांड’ ने प्रशासनिक ढिलाई और अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। मामले की जानकारी मिलते ही डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया और घटना की पूरी जांच करने के आदेश दिए। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि पेस्ट कंट्रोल करने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया गया है और किचन तोड़ने के बाद क्या सुरक्षा और सावधानी बरती गई, इसकी भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य अस्पतालों में बिल्डिंग्स की रीकंस्ट्रक्शन पर भी निर्णय लिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसे मामले न हों।
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