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कलेक्टर और अफसरों से नाराज बीजेपी विधायक
कलेक्ट्रेट में मंगलवार को हुई जिला योजना समिति की बैठक में एक भी भाजपा विधायक ने शिरकत नहीं की। यह मामला शहर की अंदरूनी राजनीति में सरगर्म है। विधायकों का कहना है कि अधिकारी सुनते नहीं हैं, इसलिए यह बैठक मजाक बन गई है। चूंकि सरकार बीजेपी की है इसलिए आॅन रिकॉर्ड विधायक कुछ बोलना नहीं चाहते हैं, लेकिन इस मामले को लेकर इनमें गहरी नाराजगी है।
रामेश्वर शर्मा 1996-1997 में पार्षद थे। तब उनके वार्ड में कलेक्टर-नगर निगम कमिश्नर तो ठीक तत्कालीन मुख्य सचिव केएस शर्मा तक के दौरे होते थे। अब भाजपा के विधायकों ने निगम कमिश्नर को क्षेत्र के दौरे के लिए चिट्ठी लिखी। इस पर दौरा तो छोड़ो, जवाब तक नहीं मिला। सब जानते हैं शर्मा का जनता से सीधा जुड़ाव है और वे अपने तरीके से पॉलिटिक्स करते हैं। वे काम पूरा हो जाने पर ही संतुष्ट होते हैं। इसी तरह विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह और विष्णु खत्री भी समिति की बैठक में नहीं पहुंचे थे। कारण यही है कि बैठक में फैसले होते हैं पर अमल नहीं होता है। विष्णु खत्री तो एक बैठक में कलेक्टर निशांत बरवड़े से खासे नाराज हो गए थे।
कोंग्रेस विधायक आरिफ अकील जिला योजना समिति की हर एक बैठक में जाते हैं। चूंकि यह विपक्ष के विधायक हैं इसलिए भले ही कार्रवाई न होती हो पर ये अपनी बात बोल जरूर देते हैं। जबकि भाजपा विधायक बोल भी नहीं पाते हैं।
जिला योजना समिति की बैठक में जिला प्रशासन, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सीपीए, बीडीए, पीएचई एंव अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होते हैं। खास बात यह है कि इन विभागों के अपनी ढपली अपना राग है। यह विधायकों की नहीं सुनते हैं। यही कारण है कि विधायकों ने अपने आप को इस बैठक से दूर कर लिया है। एक विधायक के अनुसार अगर हम बैठक में बोलते हैं तो सरकार का मजाक उड़ता है और अगर नहीं बोलते हैं तो हम मजाक बन जाते हैं। इसलिए दूरी ही बेहतर है।
जिला प्रभारी गोपाल भार्गव की अपनी अलग कार्यशैली है। उन्होंने विधायकों के इस अघोषित बायकॉट को गंभीरता से लिया है। सूत्रों के अनुसार भार्गव ने अधिकारियों से अपनी नाराजगी भी प्रकट की है और विधायकों द्वारा बताए गए कार्यों को शीघ्र पूरा करने को कहा है।
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