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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केन्द्रीय जेल भोपाल से फरार आठ आतंकियों को पुलिस ने जनता के सहयोग से मार गिराया है। लेकिन आतंकियों के फरार होने जेल प्रशाासन की चूक सामने आई है इसलिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जेल को हटा दिया है। उनके स्थान पर एडीजी सुधीर शाही को जेल की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा घटनाक्रम की जांच के लिए पूर्व महानिदेशक पुलिस नंदन दुबे को नियुक्त किया गया है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।
सीएम निवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि घटनाक्रम के बाद एआईजी जेल, जेल अधीक्षक, उप जेल अधीक्षक और सहायक जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके आलावा उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह चर्चा करते हुए प्रस्ताव दिया है कि पूरे मामले की जांच एनआईए से कराई जाये। इससे आतंकवाद से जुड़े और भी मामले सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद न केवल राज्यों व देश की समस्या है बल्कि पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन गया है। इसलिए हमने एनआईए से जांच कराने के लिए कहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी फरार आठ सिमी आतंकवादियों को मार गिराने में सबसे बड़ा सहयोग जनता का रहा है। पुलिस को सूचना जनता से मिली जिसके बाद से फरारियों को इनकांउटर में मारा गया।
सिमी आतंकवादियों के जेल से फरार होने की घटना को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार को घेरा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा है कि पूरे घटनाक्रम में प्रदेश सरकार की अक्षमता सामने आई है। उन्होंने घटना को सरकार व जेल प्रशासन की एक गंम्भीर चूक बताते हुए मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान को घटना का जिम्मेदार ठहराया है, उन्होंने कहा है कि जब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पूरे देश में ‘हाईअलर्ट’ के निर्देश जारी किये थे और दीपावली पर विशेष सतर्कता रखने हेतु कहा गया था तो प्रदेश में इस संदेश की अवहेलना क्यों, कैसे और किसलिए हुई? इस षड्यंत्र में ऊपर से नीचे तक कौन-कौन शामिल हैं? यही नहीं सन 2013 में खंडवा जिले से फरार हुए आतंकियों की घटना से सरकार व जेल प्रशासन ने सबक क्यों नहीं लिया? कमलनाथ ने आशंका जताई कि खंडवा जिला चूंकि सिमि की संदिग्ध गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा है, और वहां हाल ही में नेपानगर में विधानसभा उपचुनाव हैं, सिमि के गुर्गे लंबे समय से परदे के पीछे से बीजेपी नेताओं से सांठगाठ कर प्रदेश की राजनीति में हस्तक्षेप करते हैं, कहीं यह वाकया इसी योजना की परणिती तो नहीं हैं, इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए।
इस घटना के बाद कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी जेल से भागे हैं या किसी योजना के तहत भगाए गए हैं? जांच का विषय होना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने यहां सिमी की बजरंग दल से तुलना करते हुए कहा कि दंगा फसाद ना हो इस पर प्रशासन को नजर रखनी पड़ेगी। दोनों मिलकर दंगे कराते हैं। खंडवा से भी जेल तोड़कर सिमी के लोग भागे और भोपाल की जेल से भी भागे। सिमी और बजरंग दल पर मैंने प्रतिबंध लगाने की सिफारिश तत्कालीन एनडीए सरकार से की थी, उन्होंने सिमी पर तो लगा दिया लेकिन बजरंग दल पर नहीं लगाया।
इधर कमलनाथ ने गृहमंत्री को पत्र लिखते हुए इन सवालों का जवाब मांगा है
हाई अलर्ट में ८ कैदी कैसे फरार हुए.. जबकि भोपाल की केंद्रीय जेल प्रदेश की राजधानी में होने के कारण सबसे सुरक्षित है।
अक्टूबर 2013 में जब खंडवा जेल से सिमि आतंकी फरार हुए थे, जब वहां योगेश चौधरी पदस्थ थे वो अब भोपाल रेंज के आईजी क्यों? क्योंकि उस दौरान अमजद, जाकिर और मेहबूब खंडवा जेल से भी भागे थे।
सिमी आतंकियों की सुरक्षा के लिए प्रदेश के जेलों से पैंतीस लोगों को सुरक्षा में लगाया था, अधिकतर दीवाली पर अवकाश पर किस अधिकारी ने इनको अवकाश दिए.. जांच का गंभीर विषय है।
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