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उमा भारती की सक्रियता और अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल क्यों हैं, ये तो बहस और विश्लेषण का मुद्दा है। लेकिन इतना जरूर है कि इससे पार्टी के नेता न सिर्फ असहज हैं, बल्कि बीजेपी की किरकिरी भी हो रही है। कभी वो शिवराज को भाई बताती हैं, कभी तारीफ करती हैं, तो कभी सवाल उठाकर सरकार को ही असमंजस में डाल देती हैं। इसीलिए तो अब कहा ये जाने लगा है कि आखिर उमा भारती करना क्या चाहती हैं? मध्य प्रदेश में शराबबंदी पर शोर-शर्रबा से बात नहीं बनी, तो नड्डा को चिट्ठी लिख डाली। जब राष्ट्रीय अध्यक्ष से ज्यादा तवज्जो नहीं मिली, तो एक के बाद एक 40 ट्वीट किए, जिसमें पुराने दर्द उभरते दिखे। न सिर्फ मंत्रालय बदलने का दर्द दिखा, बल्कि संगठन में हाशिए पर किए जाने का रंज भी दिखा। सवाल ये है कि उमा भारती बीजेपी में ही रहकर पार्टी की रीति नीति पर ही क्यों सवाल उठा रही हैं?
क्या वो सक्रिय रहना चाहती हैं? या फिर तल्ख तेवर दिखाकर पार्टी पर दबाव बनाना चाहती हैं? या फिर खुले तौर पर सवाल उठाकर कोई बड़ी प्लानिंग कर रही हैं? सबसे बड़ी दुविधा तो मध्य प्रदेश में है, क्योंकि उमा भारती प्रदेश में ही एक्टिव होने की कोशिश कर रही है। चूंकि सूबे में पार्टी की सरकार है, ऐसे में न तो नेता उनके बयानों पर कुछ खुलकर बोल पा रहे हैं और न ही प्रदेश नेतृत्व। वैसे मध्य प्रदेश में उमा भारती की सक्रियता कई बातों की ओर इशारे कर रही है। जिस तरह से वो पिछले कुछ महीनों से लगातार सुर्खियों में हैं, वो सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। इसके पीछे सोची समझी राजनीति से इनकार भी नहीं किया जा सकता। कहा तो ये भी जा रहा है कि उमा भारती 2024 की तैयारी कर रही हैं। इसीलिए वो लगातार सक्रिय दिखने की कोशिश कर रही हैं। वैसे ये सवाल भी सुर्खियों में है कि उमा भारती को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए सक्रियता की जरूरत क्यों पड़ रही है?बताया जा रहा है कि उमा भारती की पुरानी परंपरागत सीटों पर अब पार्टी के दिग्गजों का कब्जा है। प्रदेश में लोकसभा की ज्यादातर सीटों पर पार्टी का ही कब्जा है। ऐसे में पार्टी किसी का टिकट काटकर उमा भारती को टिकट दे, इसकी संभावना कम है। अगर ऐसा हुआ भी तो उन्हें नई सीट तलाशनी होगी। कहीं न कहीं इसी वजह से उमा भारती लगातार सक्रिय रहने की कोशिश कर रही हैं।
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