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प्रदेश भाजपा ने इंदौर में कुख्यात गैंगस्टर युवराज उस्ताद की पत्नी स्वाति काशिद को वार्ड 56 से पार्षद पद का टिकट रद्द कर दिया है। यह हुआ है पत्रिका में 18 जून को खबर प्रकाशित होने के बाद। बात दिल्ली तक पहुंची। वहां से फटकार लगी तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा इस मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है, इसलिए टिकट वापस लिया जाता है। दरअसल, संभागीय चयन समिति ने शुक्रवार को उम्मीदवार घोषित किए थे। नंदाबाई गावड़े का नाम हटाकर स्वाति युवराज काशिद को टिकट दे दिया। इससे बवाल मच गया। पार्टी में असंतोष था, लेकिन कोई खुलकर नहीं बोल रहा था। युवराज पर दो हत्या के मामले दर्ज हुए थे। चर्चित जीतू ठाकुर हत्याकांड में बरी होने के फैसले के खिलाफ शासन ने गुरुवार को ही हाई कोर्ट में अपील भी की थी। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला की शह पर चयन समिति ने युवराज की पत्नी को टिकट दिया था। खबर प्रकाशित होने के बाद सत्ता-संगठन में खलबली मच गई। सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा तक स्वाति के पति की आपराधिक पृष्ठभूमि का रिकॉर्ड पहुंच गया। टिकट रद्द करने का निर्णय लिया जाए। इसकी घोषणा वीडी ने की। अब नंदाबाई गावडे के बेटे गजानंद पार्षद पद का चुनाव लड़ेंगे। गैंगस्टर की पत्नी को टिकट दिलाने के पीछे का गठजोड़ सामने आया तो बात दिल्ली तक भी पहुंची। स्थानीय नेताओं पर सीएम, वीडी और हितानंद नाराज हुए। फटकार लगी। सभी अनजान बनते रहे और दूसरे क्रम के नेताओं पर जिम्मेदारी डाल दी। आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े पार्षद प्रत्याशी का टिकट वापस लेकर भाजपा ने अपनी गलती पर सराहनीय सुधार किया है। सभी दलों को राजनीति को 'उजला' रखने के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए। पता रखना चाहिए कि समाज कंटकों को पार्टियों के नजदीक कौन ला रहा है? जो यह कृत्य कर रहा है, वही सबसे बड़ा दोषी है। वसूली, गुंडागर्दी और माफिया को आश्रय देने वाले नेता कभी भी लोकतंत्र के लिए फायदेमंद नहीं होते। वे जनता के होते ही नहीं हैं। गैंगस्टरों को पाल-पोसकर दबंग छवि से राजनीतिक दलों को ब्लैकमेल करते रहते हैं। बेहतर होगा, भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल इन विष-बेलों को जड़ों से उखाड़ फेंकें।
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