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छिंदवाड़ा नगर निगम चुनाव में टिकट वितरण का असंतोष अभी भी जारी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ता खुलेआम निर्दलीय चुनाव लड़ने का दावा कर बगावत पर उतर आए हैं। कांग्रेस में जहां महापौर प्रत्याशी को लेकर आदिवासी विकास परिषद का गठन कर कांग्रेस के कुछ आदिवासी नेता हर वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी उतारने का दावा कर रहे हैं, वही महापौर के लिए भी अलग से नामांकन दाखिल करने की चेतावनी दी जा रही है। कुछ ऐसा ही हाल भाजपा में भी है। यहां भी महापौर प्रत्याशी को लेकर कुछ नेता बगावत पर उतारू होकर चुनाव में पार्टी लाइन के बाहर काम करने की चेतावनी दे रहे हैं। सबसे ज्यादा असंतोष वार्ड पार्षद की टिकट के बाद उभरकर सामने आ रहा है। बागियों के रुख देखकर दोनों ही प्रमुख दलों के वरिष्ठ नेताओं के चेहरे पर शिकन आ गई है, जो चुनाव परिणामों को लेकर असमंजस में पड़ गए हैं। दरअसल, महापौर पद के चुनावों के लिए भाजपा ने अनंत धुर्वे और कांग्रेस ने विक्रम अहाके को चुना है। भाजपा के हाल भी बहुत अच्छे नहीं है। भाजपा में भी ऐन वक्त पर जितेंद्र शाह की टिकट फाइनल होने के बाद अनंत धुर्वे को महापौर प्रत्याशी बना दिया। इसे लेकर भाजपा के कुछ नेताओं में नाराजगी बनी हुई है। पार्षद उम्मीदवार न बनाए जाने से नाराज कार्यकर्ता अधिक है, जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भविष्य आजमाना चाहते हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह बागी समीकरण को बदल कर रख देंगे। हर्रई राजमहल परिवार की बेटी और पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष कामिनी शाह कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रम अहाके को चुनौती दे रही हैं। उन्होंने आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले कांग्रेस नेताओं को जोड़ा और बगावत का बिगुल फूंक दिया। उन्होंने बालाराम परतेती को निर्दलीय महापौर प्रत्याशी लड़ाने की घोषणा कर दी है। उनके साथ राघवेंद्र शाह और अन्य कांग्रेस नेता भी बगावत कर सकते हैं। कांग्रेस के बागी हर वार्ड निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उन्होंने नामांकन दाखिल करने की चुनौती तक दे दी है।
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