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मध्यप्रदेश में विधानसभा के नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने एक बयान देते हुए बताया है कि टीकमगढ़ में आदिवासी प्रत्याशी को बंधक बना लिया गया है । पुलिस का दुरुपयोग किया गया है। लोकतंत्र खतरे में है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इतना सब होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष अपने सरकारी बंगले में आराम कर रहे हैं। अब तक धरने पर नहीं बैठे। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की बड़ी अजीब स्थिति है। कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता चाहते हैं कि जनता आंदोलन करें और सरकार उनकी बन जाए। कमलनाथ चाहते हैं कि पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करें, सरकार की पोल खोलें और मुख्यमंत्री वह खुद बन जाए। डॉक्टर गोविंद सिंह को पद मिलने के बाद उम्मीद थी कि मध्यप्रदेश में विपक्ष दिखाई देगा परंतु लगता है, डॉक्टर गोविंद सिंह की उम्र हो गई है। गंभीर से गंभीर मामलों में चिट्ठी लिखते हैं और बयान जारी करते हैं।
डॉक्टर गोविंद सिंह का आरोप है कि भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के विधायक भतीजे राहुल सिंह लोधी ने थाने की पुलिस को अपने साथ ले जाकर पंचायत चुनाव में एक आदिवासी प्रत्याशी को बंधक बना लिया। क्योंकि उनकी पत्नी ने जिला पंचायत के लिए नामांकन भरा है और निर्विरोध जीतना चाहती हैं। डॉ सिंह ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है। थाने की पुलिस भाजपा के लिए काम कर रही है। यदि यही सब कुछ कमलनाथ की सरकार के समय हो रहा होता है तो शिवराज सिंह चौहान अब तक पुलिस हेडक्वार्टर के अंदर आचार संहिता का पालन करते हुए धरने पर बैठ गए होते। पूरे प्रदेश में भाजपा के नेता सड़कों पर आ गए होते। डॉक्टर गोविंद सिंह लग्जरी सरकारी आवास से 1.18 मिनट का वीडियो जारी कर रहे हैं। अब तक धूप में निकल कर ना तो राज्य निर्वाचन आयोग को शिकायत की है और ना ही पुलिस वालों की शिकायत करने डीजीपी से मिले हैं। शायद तापमान कम होने का इंतजार कर रहे हैं। यह जोर लगाकर ध्यान दिलाना जरूरी है कि राज्य और देश में लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व विपक्षी दल का होता है। इसी काम के लिए उन्हें सरकारी सुविधाएं और सरकारी आवास दिए जाते हैं। बयान तो अपने गांव से भी जारी कर सकते थे।
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