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ग्वालियर। प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति एवं अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर ने सोमवार को गुरु हरगोबिंद साहिबजी के तपस्वी स्थल गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ किला ग्वालियर पहुंचकर श्रद्धा के साथ मत्था टेका और दर्शन किए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गुरुद्वारे में दर्शन करने से गुरु ग्रंथ साहिब जी के बाणी से तो हर चिंता का समाधान होता है । यह हमारा सौभाग्य है कि कुछ समय पहले ही 400 वा शताब्दी वर्ष दाता बंदी छोड़ दिवस मनाया गया था और अब गुरु हरगोबिंद साहिब के बेटे साहिब गुरु तेगबहादुर जी का 400 वा प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है।
उषा ठाकुर ने गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पहुंचकर गुरु ग्रंथ साहिब को नमन करते हुए अरदास करवाई कि आज वर्तमान में गुरु तेग बहादुर जी हिंद की चादर द्वारा धर्म रक्षा के लिए दिए गए बलिदान को हर हिंदुस्तानी याद करे और गुरु जी द्वारा दिए गए आदर्शों पर चले और विश्व में शांति बनी रहे, क्योंकि गुरु तेग बहादुर जी ने 17वीं शताब्दी में ही धर्म की आजादी के लिए शहादत देकर प्रत्येक देशवासी के दिल-दिमाग में निडरता से आजाद जीवन जीने का बीज बो दिया था। सहनशीलता, कोमलता और सौम्यता की मिसाल के साथ साथ गुरु तेग बहादुर जी ने हमेशा यही संदेश दिया कि किसी भी इंसान को न तो डराना चाहिए और न ही डरना चाहिए। धर्म रक्षा में प्राण बलिदान वाले गुरु तेगबहादुर जी का जीवन वीरता और साहस की ऐसी मिसाल है, जो आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
नर्मदा को बचाने के लिए मांगा संतों का आशीर्वाद
मानयोग बाबा लक्खा सिंह से मुलाकात के दौरान मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि मां नर्मदा है तो मध्यप्रदेश है। उषा ठाकुर ने मां नर्मदा को बचाने बाबा सेवासिंह के आशीर्वाद के माध्यम से सिख समाज से नर्मदा के क्षेत्र में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की विनती की। इस अवसर पर संस्कृति विभाग पंजाबी साहित्य अकादमी की निदेशक नीरू सिंह ज्ञानी, सरदर रणदीप सिंह, सरदार निर्मल सिंह, सनी संधू सरबजीत सिंह ज्ञानी, गुरचरण सिंह, सुखा सिंह, रूपिंदर कौर, दिनेश चाकणकर, उदय अग्रवाल, व्यंजना मिश्रा आदि संगत उपस्थित रहे।
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