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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सत्ता में 12 साल से काबिज होने पर मद में आ चुके मंत्रियों को साफ साफ़ हिदायत दी है। अनुषांगिक संगठनों की रिपोर्ट के बाद मंत्रियों को चेताया गया है कि संगठन के हिसाब से चलना पड़ेगा। जवाब में मंत्रियों, राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों ने खुद को लाचार बताते हुए कहा कि प्रदेश की नौकरशाही में ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट है। कोई भी काम बिना पैसे के लेन-देन के नहीं होता है।
शारदा विहार में संघ की समन्वय बैठक के बाद जब संघ ने निष्कर्ष निकला तो सामने आया कि मध्यप्रदेश के अफसर सिवाए मुख्यमंत्री किसी की नहीं सुनते हैं। मध्यप्रदेश में व्यवस्था का केन्द्रीयकरण होने से अन्य नेताओं को समस्या का सामना करना पड़ रहा है और आम लोगों को जायज काम के लिए भी अफसरों को घूस खिलना पड़ रही। आरएसएस के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने मंत्रियों-सांसदों की क्लास ली, तो वे पलटकर बोले और अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया ।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने नौकरशाही के हावी होने का मुद्दा उठाया। सांसदों ने गोद लेने वाले गांवों की स्थिति बताई। इनके विकास में अड़ंगे के लिए भी अफसरों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वे फोन तक नहीं उठाते हैं। क्षेत्र में काम के लिए चक्कर काटना पड़ते हैं। इनके अलावा उपाध्यक्ष प्रभात झा, मंत्री गोपाल भार्गव, गौरीशंकर शेजवार, विजय शाह, कुसुम महदेले और यशोधरा राजे सिंधिया ने भी अफसरों की शिकायत की।
मुख्यमंत्री और संघ के नेताओं ने सभी को सुना। इसके बाद संघ के नेताओं ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अकेले में बात की और अफसरों पर लगाम कसने की के लिए कहा है, जिसका असर एक महीने में दिखने की बात मुख्यमंत्री ने कही । बैठक में संघ ने 40 से ज्यादा अनुषांगिक संगठनों की रिपोर्टिंग के आधार पर मंत्रियों के बीच खुली चर्चा की गई। इस बैठक का सार यही रहा कि अगर बीजेपी को अगले चुनावों में विजयी होना है तो मध्यप्रदेश को अफसरों के भरोसे न छोड़ा जाए।
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