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दिग्विजय ने राममंदिर निर्माण को लेकर उठाये सवाल यूजर्स ने की खिंचाई
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भोपाल। अयोध्या में राममंदिर के निर्माण को लेकर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर सवाल उठाये हैं। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया के माध्यम से राम मंदिर के निर्माण को लेकर भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) पर निशाना साधा,  जिस पर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया और जमकर खिंचाई कर दी। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को ट्वीटर पर भाजपा और विहिप को आड़े हाथों लेते हुए सिलसिलेवार तीन ट्वीट किये हैं, जिनमें उन्होंने लिखा है कि -‘भगवान राम का मंदिर हिंदुओं के धर्माचार्यों द्वारा ही बनाना चाहिये। राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित संगठनों के द्वारा नहीं। भगवान राम सबके हैं। उनकी जन्म भूमि पर निर्माण की जिम्मेदारी रामालय ट्रस्ट को ही देना चाहिये।’ उन्होंने अगले ट्वीट में कहा है कि - ‘रामालय ट्रस्ट में सभी शंकराचार्य और रामानन्दी सम्प्रदाय से जुड़े अखाड़ा परिषद के सदस्य ही हैं और जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी सबसे वरिष्ठ होने के नाते उसके अध्यक्ष हैं। रामालय ट्रस्ट के माध्यम से ही रामलला के मंदिर निर्माण होना चाहिये।’

दिग्विजय सिंह ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा है कि -‘ रामलला के मंदिर का निर्माण शासकीय कोष से नहीं होना चाहिये। विश्व का हर हिंदू भगवान राम को ईश्वर का अवतार मानता है और मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा। विहिप ने मंदिर निर्माण में जो चंदा उगाया, वह उसे अपने पास रखे और उसका उपयोग समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में खर्च करे।’ दिग्विजय सिंह के इन ट्वीट पर यूजर्स ने उन्हें लताड़ लगाते हुए जमकर खिंचाई की है। उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए जमकर ट्रोल करना शुरू कर दिया है।


शिवकुमार नाम के यूजर ने लिखा है कि चचा, आप मत घबराइए, क्योंकि राममंदिर आपका मुद्दा नहीं है और वैसे भी राम जी काल्पनिक हैं। मन्दिर किसके पैसे से बनेगा किसके से नहीं बनेगा, तुम्हें उससे क्या मतलब खामोश रहिए? दूसरे यूजर्स ने लिखा है कि तेरे से चंदा मांगने कोई नहीं आएगा, वैसे भी मेहनत का पैसा चाहिएये मंदिर के लिये। अनुराग मिश्रा नामक के यूजर ने लिखा है कि पूरी कांग्रेस पार्टी ने राममंदिर के मुद्दे पर हमेशा विघ्न डाला। चाहे कपिल सिब्बल न्यायालय में मामले को लटकाने का प्रयास करते रहे हो, चाहे रामसेतु के मुद्दे पर यूपीए सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देकर भगवान राम के अस्तित्व को ही नकारा गया हो। अब सलाह किस मुंह से दे रहे हो।

वहीं, आर कुमार नामक यूजर ने लिखा है कि कभी तो आपकी पार्टी बोल रही थी कि राम एक काल्पनिक नाम है, आपके पार्टी के लोग इसके विरोध करते रहते थे,  आज बोल रहे हैं कि राम एक अवतार हैं, आ गये न आखिर राम की शरण में, बहुत बहुत बधाई। एक अन्य यूजर ने लिखा है कि जय श्रीराम, लेकिन हिन्दू मंदिरों से जमा पूंजी से गिरिजाघर एवं मस्जिदों को अनुदान, राजनेताओं द्वारा चलाए जाने वाले निजी संस्थानों को अनुदान, इसे जरा आप बंद करें तथा हिन्दुओं को कृपया बिना मांगी सलाह देना बंद करें।

दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर निर्माण को लेकर इससे पहले भी कई बार सवाल उठाये हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें यूजर्स पहले भी लताड़ लगा चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में स्वामी स्वरूपानंद ने भी मांग की थी कि रामालय ट्रस्ट को मंदिर बनाने दिया जाए। उन्होंने कहा था कि हम हिंदुओं की भावनाओं के अनुसार कौशल्या की गोद में बैठे भगवान राम की प्रतिमा विराजमान करेंगे। शंकराचार्य ने कहा था कि मामला बिगड़ रहा है और हम कहना चाहते हैं कि मंदिर निर्माण का जिम्मा हमें दिया जाए। अगर उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है तो वह सरकार से एक पैसा नहीं लेंगे और जनता के सहयोग से मंदिर बनवाएंगे।
Kolar News 5 January 2020

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