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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर पिछले दिनों हुए निर्वाचन रद्द किए जाने की मांग की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस सिलसिले में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश जनविकास पार्टी की ओर से अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह, प्रवीण यादव व रवि कुमार सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जनहित याचिकाकर्ता पार्टी 2017 में पंजीकृत हुई। विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए आवेदन लगाया गया था। इस पर पार्टी में आंतरिक कलह का मनमाना कारण दर्शाते हुए चुनाव चिन्ह देने से इनकार कर दिया गया |नियम की वैधानिकता चुनौती के योग्य- बहस के दौरान बताया गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के नियम 10 (ख) की संवैधानिक वैधता कठघरे में रखे जाने योग्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके तहत चुनाव से 6 माह पूर्व आवेदन करने पर ही चुनाव चिन्ह आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में इस रवैये के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई थीं। उनका निराकरण आवेदन पर विचार के निर्देश के साथ कर दिया गया था।5 फीसदी सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने की भी बाध्यता अनुचित- जनहित याचिकाकर्ता पार्टी का कहना है कि 5 फीसदी सीटों पर प्रत्याशी न खड़े किए जाने की सूरत में पार्टी के खिलाफ दांडिक कार्रवाई का प्रावधान भी अनुचित है। शर्तें पूरी न करने का तर्क रखकर लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव चिन्ह आवंटन का आवेदन निरस्त कर दिया गया।दूषित हो गई समूची प्रक्रिया- जनहित याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव चिन्ह आवंटन न करने की गलती के कारण समूची चुनाव प्रक्रिया निर्धारित नियमों के प्रकाश में ही दूषित हो चुकी है। लिहाजा, सभी विजयी सांसदों का निर्वाचन रद्द करके नए सिरे से चुनाव कराने चाहिए।
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