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मध्य प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। जावद विधानसभा क्षेत्र में ब्लॉक अध्यक्षों की हालिया नियुक्तियों के विरोध में 30 से अधिक ब्लॉक, नगर और बूथ स्तर के पदाधिकारियों ने एक साथ इस्तीफे दे दिए हैं। रतनगढ़ में शंभू चारण और सिंगोली में सत्तूलाल धाकड़ सहित जिले में 11 ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद यह असंतोष खुली बगावत में बदल गया, जिसकी गूंज व्हाट्सएप और सोशल मीडिया तक सुनाई दे रही है।
इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहना है कि उन्हें नियुक्तियों से नहीं, बल्कि जावद क्षेत्र पर बाहर से नेतृत्व थोपे जाने से आपत्ति है। नगर अध्यक्ष, किसान कांग्रेस पदाधिकारी, बीएलए-2 और बूथ प्रभारी जैसे संगठन की रीढ़ माने जाने वाले कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि स्थानीय और संघर्षशील नेताओं की अनदेखी कर फैसले थोपे जा रहे हैं। यह विवाद अब केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और इंदौरी नेतृत्व के बीच सीधी टकराहट का रूप ले चुका है।
कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि जावद विधानसभा में कांग्रेस पिछले 22 वर्षों से सत्ता से बाहर है, इसके बावजूद जमीनी संगठन को मजबूत करने के बजाय ऊपर से फैसले थोपे जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में समंदर पटेल का नाम आक्रोश के केंद्र में है। आरोप हैं कि जावद की राजनीति इंदौर से नियंत्रित हो रही है और जिन पर चुनावों में भाजपा के लिए काम करने के आरोप रहे, उन्हें पद दिए गए। असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि संगठन में निष्ठा और संघर्ष की जगह अब सिफारिश और पैसे को तरजीह दी जा रही है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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