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भाेपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के राजा राम माेहन राय काे लेकर दिए विवादित बयान पर सियासत तेज होने के बाद उन्हाेंने यूटर्न ले लिया है। मंत्री परमार ने रविवार काे एक वीडियाे जारी कर अपने बयान के लिए सार्वजनिक माफी मांगी है। मंत्री ने कहा कि राजा राममोहन राय के बारे में मुंह से गलत बात निकल गई। वह माफी मांगते हैं। मंत्री परमार ने स्पष्ट किया कि बिरसा मुंडा जयंती के एक कार्यक्रम में वे अंग्रेजों की साजिशों और उस दौर की परिस्थितियों पर चर्चा कर रहे थे। उसी दौरान प्रवाह में उनके मुंह से देश के महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय के बारे में गलत बात निकल गई। उन्होंने राजा राममोहन राय का सम्मान करने की बात कही और पूर्ववर्ती सरकारों पर आदिवासी नायकों के इतिहास को हाशिए पर रखने का आरोप लगाया।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने राजा राममोहन राय को 'अंग्रेजों का दलाल' कहने पर माफी मांगी है। विवाद बढ़ने पर उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि गलती से उनके मुंह से गलत शब्द निकल गए। परमार ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि 'कल (शनिवार को) आगर में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती कार्यक्रम में उनके जीवन पर बोलते समय संदर्भों के क्रम में मुझसे गलती से राजा राममोहन राय के बारे में गलत शब्द निकल गए। इसके लिए मुझे अत्यंत दुख है और मैं प्रायश्चित करता हूं। राजा राममोहन राय एक प्रसिद्ध समाज सुधारक थे और मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं। त्रुटिवश यह बयान मेरे मुंह से निकल गया, जिसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।'
दरअसल, परमार ने शनिवार को आगर मालवा में बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल कह दिया था। इस बयान पर विवाद शुरू हो गया था। मंत्री इंदर सिंह परमार ने आगर मालवा में कहा था- अंग्रेजी शासन मिशनरी स्कूलों के जरिए लोगों की आस्था बदलने का कुचक्र चला रहा था। इसी साजिश का हिस्सा राजा राममोहन राय भी थे। उस दौर में अंग्रेजों के संचालित मिशनरी स्कूल ही शिक्षा का साधन थे, जहां धर्मांतरण की कोशिशें होती थीं। कई लोगों को अंग्रेजों ने फर्जी समाज सुधारक बनाकर पेश किया। इसी क्रम में उन्होंने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया। जिसके बाद उनका यह बयान सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तेजी से विवाद का विषय बन गया। विवाद बढ़ने के बाद परमार ने वीडियो जारी कर गलती स्वीकार की और कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने असली आदिवासी नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को हाशिए पर रखा, जबकि कई लोगों को गलत रूप में महान बताया गया। उन्होंने दोहराया कि उनका इरादा राजा राममोहन राय जैसे समाज सुधारक को अपमानित करने का नहीं था।
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