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जबलपुर । सरयू की तर्ज पर मॉ नर्मदा के पावन तट को विकसित करने के प्रारूप के प्रस्तुतीकरण काे लेकर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने रविवार काे समदड़िया होटल में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुये कहा कि जिनकी प्रत्येक लहर में आस्था, संस्कृति और जीवन की धारा बहती है। जबलपुर में माँ नर्मदा की गोद में स्थित है गौरीघाट। यहाँ, माँ नर्मदा की शांत लहरें श्रद्धालुओं को शांति और शक्ति दोनों प्रदान करती हैं। प्रत्येक घाट पर स्नान, पूजा और ध्यान की पवित्रता समाई हुई है। यहाँ की शांति और प्राकृतिक सुन्दरता हर किसी को अपनी ओर खींचती है गौरीघाट न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और अध्यात्मिक पर्यटन का भी गौरव है।
सिंह ने बताया वर्तमान घाट क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाला है, जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में कठिनाई होती है। वर्तमान मार्ग की पर्याप्त चौड़ाई न होने के कारण यातायात अव्यवस्थित होता है, जिससे आवागमन प्रभावित होता है और यह लोगों की सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं हैं। सिंह ने बताया अर्पित पूजन सामग्री एवं अपशिष्ट घाट पर ही बिखरा रहता है, जिससे न केवल स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि माँ नर्मदा की पावन गरिमा भी धूमिल होती है। इन समस्याओं की वजह से श्रद्धालुओं को असुविधा होती है इसलिएमाँ नर्मदा के घाटों का सुव्यवस्थित विकास अत्यावश्यक है। सिंह ने बताया घाटों के विकास के पहले चरण में खारीघाट, दरोगा घाट, ग्वारीघाट,उमा घाट,सिद्धघाट एवंजिलहरीघाट को जोड़कर सरयू के घाटों की तर्ज पर एकरूपता प्रदान कीजाएंगी।
सिंह ने बताया खारी घाट पर खारी विसर्जन के लिए जलकुंड बनाया जाएगा। खारी घाट मार्ग की ओर से खारी घाट पर उतरने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थित सीढ़ियाँ बनायीं जाएंगी। सीढ़ियों से नीचे उतरते ही चेंजिंग रूम,तीर्थ पुरोहितों के बैठने की व्यवस्था और मुंडन स्थल बनाया जाएगा, साथ ही एक छोटा नाव घाट भी बनाया जाएगा। यहाँ पर स्थित प्राचीन मंदिर को यथावत रखते हुए घाटों का विकास किया जाएगा। यहाँ से थोड़ा आगे दरोगा घाट की तरफ एक बड़ा ‘नाव घाट’ बनाया जाएगा। दरोगा घाट पर भी श्रद्धालुओं के उतरने के लिए व्यवस्थित सीढ़ियाँ बनायीं जाएंगी। घाट की दीवारों पर आर्टवर्क एवं म्युरेल्स के माध्यम से माँ नर्मदा की गाथा का चित्रण भी किया जाएगा। यहाँ पर संध्या आरती के लिए स्थान निश्चित किया गया है। संध्या आरती के लिए पाँच भव्य मंच निर्मित किए जाएंगे। ये मंच श्रद्धालुओं को दिव्य और अलौकिक अनुभूति प्रदान करेंगे।
सिंह ने बताया गौरीघाट के प्रवेश पर सड़क की ढलान को आसान और चौड़ा बनाया जाएगा , ताकि घाटों के रखरखाव हेतु वाहन एवं अन्य उपकरण आसानी से पहुँच सकें। गौरीघाट से प्रारंभ होकर एक चैनल का निर्माण किया जाएगा जो लगभग 800 मीटर लंबा, औसतन 15 मीटर चौड़ा और करीब 1 मीटर गहरा होगा, जहाँ इस चौनल के माध्यम से माँ नर्मदा की जलधारा को श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जायेगा। इस चैनल से माँ नर्मदा की मुख्य धारा को प्रदूषण-मुक्त रखते हुए श्रद्धालुओं के स्नान एवं पूजन के लिए बेहतर, स्वच्छ और सुरक्षित व्यवस्था मिल सकेगी । इस चैनल के दो भाग होंगे।
राकेश सिंह ने बताया प्रथम भाग पुष्प अर्पण एवं दीपदान के लिए उपयोग किया जायेगा। इस व्यवस्था से फूल, दीप और अन्य पूजन सामग्री सीधे नदी में प्रवाहित नहीं होगी। दूसरा भाग श्रद्धालुओं के स्नान के लिए उपयोग किया जायेगा। इससे माँ नर्मदा की मुख्य धारा प्रदूषण-मुक्त रखते हुए श्रद्धालुओं को एक बेहतर, स्वच्छ और सुरक्षित अनुभव प्राप्त होगा।
मंत्री सिंह ने बताया इस मार्ग पर वृद्ध एवं दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा के लिए ई-कार्ट भी चलाई जाएगी। यह मार्ग आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोगी सिद्ध होगा। इसी मार्ग पर आरती स्थल आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दुकानें बनायी जाएंगी। यहाँ पर एकस्वागत द्वार भी बनाया जाएगा । यह मार्ग आगे खारीघाट के पार्किंग तक पहुँचेगा और दूसरे चरण में विकसित होने वाले तिलवारा घाट को भी जोड़ेगा। घाटों को सुव्यवस्थित रूप में विकसित करने के लिए पर्याप्त खुली जगह, हरित क्षेत्र, बैठने की व्यवस्था, चेंजिंग रूम तथा एक समान वास्तुशिल्प में संरचनाये विकसित की जा रही है ।
सिंह ने बताया माँ नर्मदा घाटों के इस विकास कार्य में हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी । सम्पूर्ण घाट पर रात्रिकालीन सुरक्षा और सुन्दरता के लिए आधुनिक सौर ऊर्जा चलित एलईडी लाइटें लगायी जाएंगी जो पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ हर शाम घाट की सुंदरता को और भी निखारेंगी। दुकानों के आसपास अपशिष्ट और कचरा न फैले तथा सफाई और पर्यावरण अनुकूलता बनी रहे, इसके लिए घाटों पर अंडरग्राउंड ड्रेनेज की व्यवस्था की गई है। यहाँ घाटों पर एंटी स्किड पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इनकी सफाई के लिए वॉटर जेट भी लगाए जाएंगे, ताकि समय-समय पर इन्हें आसानी से साफ किया जा सके। पत्थरों को टिकाने के लिए विशेष फास्टनर लगाए जाएंगे, जिससे वे तेज बहाव में भी सुरक्षित रह सकेंगे।
सिंह ने कहा यह माँ नर्मदा की सेवा का एक पुण्य अवसर है। हमारी आस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प है। माँ नर्मदा की कृपा से यह घाट सरयू की तर्ज पर विकसित हो इस हेतु आप सभी का सहयोग, समर्पण और आशीर्वाद इस पुनीत कार्य को सफल बनाएगा।
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