शिक्षक का व्यवहार छात्र के प्रति और शिक्षक के प्रति छात्र का व्यवहार ठीक होना चाहिएः मंत्री परमार
उज्जैन । मध्य प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार के मुख्य आतिथ्य में बुधवार को उज्जैन जिले के ग्राम हासामपुरा के समीप अवंतिका विश्व विद्यालय में आयोजित चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वयं की शिक्षा श्रेष्ठ शिक्षा है, शिक्षक का व्यवहार छात्र के प्रति और शिक्षक के प्रति छात्र का व्यवहार अच्छा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की है। यह नीति देश में सर्वप्रथम मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई है, जिसके परिणाम भी अच्छे आने लगे हैं। इस नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल किया गया है।
मंत्री परमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सच्ची शिक्षा का मूल आधार चरित्र का विकास है। शिक्षा नैतिक बल देती है। शिक्षक का आचरण और व्यवहार शिष्य के जीवन में परिलक्षित होता है। अच्छा शिक्षक अच्छे विद्यार्थियों को तराशता है। अच्छा नागरिक चरित्रवान व्यक्ति ही बन सकता है। हमें विकसित भारत बनाने के लिए तथा विश्व गुरु बनने के लिए राष्ट्रीय और चरित्रवान नागरिकों का निर्माण करना होगा। यह कार्य शिक्षक ही कर सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन से यह संभव हो सकेगा। हमारी प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होना चाहिए। अपनी भाषा में अध्ययन-अध्यापन करने से चिंतन में मौलिकता एवं सृजनात्मकता आती है और विषय अधिक सहजता से ग्रहण होता है। हम अपने दैनिक व्यवहार आदि कार्य में यथा संभव अपनी भाषा का प्रयोग कर अपने व्यवहार में वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण को हम अपनाएं। शिक्षा पद्धति में कई नवाचार किये जा रहे है। विकसित भारत बनाने में श्रेष्ठ ज्ञान अर्जित करने से ही संभव है।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का समाधान हमारे अंदर ही है। उन्होंने कहा कि मूल्य परक शिक्षा के अभाव में मनुष्य के चरित्र का निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास संभव नहीं है। राष्ट्रीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्यों को समकालीन संदर्भ में पुनर्स्थापित करने का सशक्त माध्यम बनकर उभरी है। यह नीति व्यक्तित्व निर्माण ,चरित्र विकास एवं सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ शिक्षा को जोड़ने का कार्य कर रही है। हमें पंचकोश पर आधारित जीवन यापन कर स्वस्थ और श्रेष्ठ नागरिक बनना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया की ऊंकार मंत्र बोलने से हमारे मन में एक अच्छी अनुभूति होती है। उन्होंने पंचकोश पर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का शारीरिक, प्रणीक, मानसिक, बौद्धिक तथा अध्यात्मिक विकास का होना आवश्यक है। डॉ. कोठारी ने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए बताया कि किसी व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वभाव अर्थात चरित्र ही व्यक्तित्व कहलाता है। अपने अनेक उदाहरण सहित प्रेरणादायी वक्तव्य प्रस्तुत किये।
कार्यशाला में अतिथियों ने ज्ञान महाकुंभ प्रयागराज संकल्प पत्र पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर पाणिनी संस्कृत विश्व विद्यालय के बटुकों द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। इसके बाद विश्व शांति वर्ल्ड पीस प्रार्थना की गई। उच्च शिक्षा मंत्री परमार का स्वागत अवंतिका विश्व विद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर संजय धाण्डे ने किया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. अतुल कोठारी का स्वागत एमआईटी पुणे ग्रुप के प्रोफेसर अनंत चक्रदेव द्वारा किया गया। प्रोफेसर संजय धाण्डे का स्वागत विक्रमविश्व विद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज तथा विशिष्ट अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय संयोजक ओम प्रकाश शर्मा का स्वागत अवंतिका विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. नितीन राणे ने किया तथा निर्मला ग्रुप ऑफ कॉलेज के आर्क विशप डॉ. सेबिस्टियन वड्डकल का स्वागत पाणिनि विश्व विद्यालय के कुलगुरु प्रो. शिव शंकर मिश्र द्वारा किया गया। कार्यशाला में स्वागत उद्बोधन एमआईटी पुणे के प्रो. अनंत चक्रदेव ने दिया। कार्यशाला की विस्तार से जानकारी विक्रमविश्व विद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने दी। कार्यशाला में अवंतिका विश्व विद्यालय के कुलाधिपति प्रो. संजय धाण्डे ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन माधव महाविद्यालय के प्रो. जफर मेहमूद ने किया और अन्त में आभार प्रो. नितीन राणे ने प्रकट किया।