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भाेपाल । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में निवेश के नाम पर खुली नौटंकी चल रही है। सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर करोड़ों रुपया फूंका जा रहा है, लेकिन कल्पना का ‘कागजी निवेश’ जमीन पर नहीं आ पा रहा है। देश-प्रदेश में घूमकर मन भर गया तो मुख्यमंत्री के साथ मुंगेरियों की टोली अब विदेश में ‘सरकारी-पर्यटन’ की संभावनाएं टटोल रही हैं। जीतू पटवारी ने कहा कि विदेशी निवेशकों को बुलाने के लिए मुख्यमंत्री के साथ अफसर की एक टीम इंग्लैंड के लंदन और जर्मनी के म्यूनिख और बर्लिन जैसे शहरों में रोड-शो की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी ‘अंतरराष्ट्रीय-पर्यटक’ बनना चाहते हैं।
जीतू पटवारी ने शनिवार काे सरकार की योजना और क्रियान्वयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि नौकरशाही के चंद चेहरे कागजों में ‘नकली कायदों में असली फायदे’ दिखाकर सत्ता को गुमराह कर रहे हैं और सरकार का ‘मासूम-मुखिया’ कल्पना में औद्योगिक विकास देखकर तालियां बजा रहा है। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए मोहन सरकार ने अधिकारियों के प्रभाव में आकर पहले ही गलतियां कर चुकी हैं। उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और रीवा में रीजनल इंडस्ट्रियल कांक्लेव का आयोजन तो कर लिया, परंतु कागजी घोषणाएं अब तक इलाके की औद्योगिक जमीन भी नहीं देख पाई हैं।
जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में रीजनल इंडस्ट्रियल कांक्लेव जैसी पहल निवेश आकर्षण और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की जाती हैं, लेकिन ये जमीनी स्तर पर अपेक्षित प्रभाव नहीं डाल पा रही हैं। नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं होना और प्रशासनिक सुस्ती से निवेशकों का भरोसा कम हो गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसी आधारभूत सुविधाएं सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम का वादा तो किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर यह नौकरशाही जटिलताओं और भ्रष्टाचार के कारण प्रभावी नहीं हो पाता।
पटवारी ने कहा कि स्थानीय व्यापारियों और उद्योगपतियों को इन पहलों में शामिल नहीं किया जा रहा, इससे जमीनी स्तर पर सामंजस्य की कमी हो रही है। उद्योग स्थापित करने के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण अनुमति प्राप्त करने में भी देरी होती है, मुआवजे को लेकर सरकार की हठधर्मिता किसानों को नाराज कर रही है। सरकार कितना भी झूठ बोले, लेकिन सच्चाई यही है कि राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार निवेशकों को मध्य प्रदेश आने से रोक रहा है।
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