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मध्यप्रदेश में अब बाई शब्द को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। नौरादेही अभयारण्य की डायरेक्टर वासु कन्नौजिया ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा उन्हें 'बाई" कहने पर आपत्ति जताई है। कन्नौजिया ने आईएफएस एसोसिएशन को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने को कहा है।
आईएफएस कन्नाौजिया ने पुलिस और सागर सीसीएफ को भी शिकायत भेजी है जिसमें 26 मई को एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री पर भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप लगाते हुए कहा है इसके चलते वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ हमले की घटनाएं बढ़ी रही हैं।
वन विभाग के अफसरों ने मुख्यालय पहुंचे इस शिकायत पत्र को शासन को भेजने की बजाय कन्नौजिया को ही अभयारण्य से हटा दिया है। उन्हें उमरिया का डीएफओ बनाया गया है। इधर इस पूरे मामले में मंत्री भार्गव ने बाई शब्द को सम्मानित शब्द बताया है।
मंत्री भार्गव ने अभयारण्य के अंदर स्थित मोहली गांव में 26 मई को आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिया था। जिसमें कहा गया था कि 'यह रहली विधानसभा क्षेत्र है। यहां के गरीब, मजदूर अपनी जीविका चलाने के लिए जंगलों से चिरोंजी, महुआ और अन्य वनोपज लाते हैं और उस पर रेंजर, एसडीओ, डीएफओ अत्याचार करता है, तो उसके हाथ-पैर तोड़ दो।"
कन्नौजिया ने अपने पत्र में इस भाषण का भी उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि इसके बाद क्षेत्र में काम करना मुश्किल हो गया है। भड़काऊ भाषण के दूसरे ही दिन 15-20 ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता तोड़ने की नीयत से पार्क में घुसने की कोशिश की। इसी रात को हिनौती गेट से दो बाइक ने प्रवेश की कोशिश की।
रोकने पर इन लोगों ने स्टाफ से गाली गलौच की और बंदूक तान दी। जबकि 29 मई को बोमा गांव के लोगों ने लकड़ी काटने के लिए अभयारण्य में प्रवेश की कोशिश की। इस दौरान एक स्थाईकर्मी के साथ मारपीट भी की गई।
आईएफएस वासु कन्नाौजिया ने 30 मई 2017 को सागर सीसीएफ को ये शिकायत भेजी थी।इसकी प्रति वन बल प्रमुख को भी भेजी गई थी।सीसीएफ ने करीब 15 दिन पहले अपनी रिपोर्ट के साथ पत्र विभाग की संरक्षण शाखा को भेजा है। जो वन बल प्रमुख को भेजा चुका है लेकिन अब तक ये मुख्यालय की फाइलों में ही दबा पड़ा हुआ है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि बुंदेलखंड में 'बाई" सम्मानित शब्द है। मैं अपनी मां को बाई कहकर बुलाता हूं। इस पर आपत्ति वाली कोई बात नहीं है।
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