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सरकार को खूब रुला रही प्याज,मुख्यमंत्री ,मंत्री से लेकर अफसर तक सबका फोकस प्याज पर है।प्याज खरीदी का मुद्दा सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। सारा प्रशासनिक कामकाज छोड़ जिलों का अमला प्याज खरीदी के साथ उसकी ढुलाई के लिए वाहन जुटाने में लगा हुआ है। एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी सहित पुलिस का भारी भरकम अमला सड़कों पर खड़े होकर आने-जाने वाले खाली ट्रकों का अधिग्रहण कर रहा है।
ऐसे अधिग्रहीत वाहनों से प्याज एक जिले से दूसरे जिले को भेजी जा रही है। खास बात यह है कि ड्राइवरों को न तो प्रशासन एडवांस दे रहा है, न ही उन्हें डीजल डलवाने के लिए पैसा। चुनाव कार्य की तरह निजी वाहनों का अधिग्रहण तब किया जा रहा है, जब कैबिनेट वाहन अधिग्रहण नहीं करने का निर्णय कर चुकी है।
सरकार 8 रुपए किलो के भाव से समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदकर दो रुपए में बेच रही है। अब तक प्रदेशभर में 38 लाख 75 हजार क्विंटल प्याज खरीदी जा चुकी है। लगभग 200 करोड़ रुपए किसानों को भुगतान भी किया जा चुका है। उम्मीद से ज्यादा प्याज आने के कारण सरकार के लिए प्याज को खपाना सिरदर्द बनता जा रहा है। यही वजह है कि सरकार अब मालवा और निमाड़ से खरीदी गई प्याज को गुजरात भेज रही है। इसके लिए उज्जैन में रेलवे के रैक लगाए गए हैं। इससे प्याज को सूरत अहमदाबाद सहित गुजरात की अन्य मंडियों में भेजा जा रहा है।
सिर्फ उज्जैन जिले में प्रशासन ने 228 ट्रकों का अधिग्रहण किया है। कलेक्टर के कहने पर पूरा अमला वाहनों के अधिग्रहण में लगा हुआ है। संभागीय परिवहन अधिकारी मनोज तेहनगुरिया के मुताबिक अधिग्रहण कर जिन वाहनों को प्याज ढुलाई में लगाया जा रहा है। उन्हें चार रुपए दस पैसे प्रति टन प्रति किमी के हिसाब से भाड़े का भुगतान किया जाएगा। इसी में लोडिंग और अनलोडिंग का खर्च भी शामिल है। पूरे प्रदेश में 3 हजार से ज्यादा ट्रक अब तक अधिग्रहीत किए जा चुके हैं।
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