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मंदसौर में मंगलवार को हुई छह किसानों की मौत ने पूरी सरकार को हिला दिया है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर तमाम अधिकारी व मंत्री इस पूरे घटनाक्रम से हतप्रभ है, साथ ही पूरे देश की निगाहें मप्र की ओर हो गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सभी मप्र सरकार को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान लगातार अपने अधिकारियों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं, कि किस तरह से किसानों के इस आंदोलन को समाप्त किया जाए, बावजूद इसके किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। मप्र के लिए यह वाकई एक दुखद स्थिति है कि जो राज्य कृषि विकास दर के मामले में पहले पायदान पर था, वहां पर किसानों की गोलीकांड में हुई मौत एक धब्बा बन कर रह गया है। प्रदेश सरकार की जो छवि पूरे देशभर में एक किसान हितैषी की रही है, उसको इस घटनाक्रम से धक्का लगा है।
मंदसौर में फायरिंग के दौरान हुई किसानों की मौत और सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को अवगत कराया है। जानकारी के मुताबिक कल रात सीएम ने पीएम मोदी और अमित शाह फोन पर बात कर उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी। बताया जाता है कि केन्द्रीय नेतृत्व से बात होने के बाद ही किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि दस लाख से बढ़ाकर एक करोड़ करने का ऐलान किया गया।
नेताजी कहीन
कांग्रेस ने हिंसक गतिविधियों का समर्थन कर आंदोलन का स्वरूप बिगाड़ दिया। उन्होंने कहा कि आंदोलन को अगर कांग्रेसी हवा न देते तो चर्चा के बाद कोई न कोई हल जरूर निकलता पर कांगे्रस नेता इस बहाने राजनीति करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बातचीत नहीं होने दी।
नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
शिवराज सरकार गोली की दम पर किसानों का आंदोलन निपटाना चाहती है। मुख्यमंत्री किसान पुत्र होने का दंभ भरते हैं और उनके ही राज में यदि किसानों को पुलिस की गोली खाकर मृत्यु के मुंह में जाना पड़े तो इससे बुरा और क्या हो सकता है। सीएम किसानों के दर्द को कभी भी समझ ही नहीं पाए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री
मंदसौर में किसानों पर गोली चलाना शिवराज सरकार का दंभ दिखाता है, कि वह किसानों के आंदोलन को किस अंदाज में कुचलना चाहती है। हमने कभी भी किसानों को राजनीतिक लाभ या मुद्दा बनाने का प्रयास नहीं किया, लेकिन भाजपा और सरकार अन्नदाताओं को राजनीति का मुद्दा बनाती रही है। अरुण यादव, पीसीसी चीफ
सरकार शहीद किसानों की मौत खरीदने निकली है। मुख्यमंत्री सौदेबाजी छोड़कर गोली चलाने की जिम्मेदारी लें और तत्काल अपने पद से इस्तीफा दें। मुख्यमंत्री किसानों को इमोशनली ब्लैकमेल कर रहे है। किसानों को लेकर की गई घोषणाएं का पालन नहीं किया। अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष
ये सामूहिक नरसंहार है। किसानों पर गोलियां चलाने वाला देश कृषि प्रधान नहीं हो सकता। सरकार किसानों की लाशों की नीलामी कर रही है। पहले पांच लाख, फिर दस लाख और फिर एक करोड़...शहीद किसानों को मुआवजा दे रहे थे या लाशों की नीलामी हो
रही है। जीतू पटवारी, विधायक कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा -मोदी सरकार व शिवराज सरकार की नीतियों के कारण किसान अपनी उगाई फसल को सड़कों पर न चाहकर भी फेंकने को मजबूर है। किसान शांति पूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे थे, लेकिन शिवराज सरकार ने उन पर लाठियां चलवाई। किसानों का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
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