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राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षक विद्यार्थियों को माता-पिता और राष्ट्र की सेवा के संस्कार दे। पटेल ने कहा कि तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्व प्रसिद्ध विद्यापीठ, हमारी गौरवशाली धरोहर हैं। दुनिया भर के लोग शिक्षा प्राप्त करने भारत आते थे। उन्होंने शिक्षकों का आहवान किया कि वे भारतीय शिक्षा के प्राचीन गौरव की पुनर्स्थापना के लिए संकल्पित हों। पटेल प्रशासनिक एवम् प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह लोक शिक्षण संचालनालय और स्कूल शिक्षा विभाग के तत्वावधान में हुआ। राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा श्री इन्दर सिंह परमार और प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरुण शमी उपस्थित थे।राज्यपाल पटेल ने कहा कि यह शिक्षकों की महती जिम्मेदारी है कि राष्ट्र निर्माण के लिए सर्वस्व समर्पण के लिए तत्पर भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए एकजुट होकर कार्य करें। शिक्षा और शिक्षण का स्वरूप ऐसा हो जो विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे। सफलता की चकाचौंध में भी अपने माता-पिता, समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि प्राप्त सम्मान की गरिमा बनाये रखना सम्मानित शिक्षकों का दायित्व है। शिक्षक बच्चों को जो भी सिखाते हैं, उसे जीवन में उतारने के लिए प्रेरित करें। उन्हें अपने आचरण और व्यवहार से बच्चों को प्रेरित और प्रोत्साहित करें। उनमें सदाचार, व्यवहार एवं संस्कार के बीज रोपित करे। उन्हें बताये कि आचरण एवं व्यवहार जीवन में सफलता का आधार है। पटेल ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वंदना की संगीतमय प्रस्तुति की सराहना की।समारोह में राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा श्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि गुरु एक श्रेष्ठ नागरिक का निर्माण करता है। गुरु परम्परा भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है। हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं में शिक्षक का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। शिक्षक समुदाय विद्यार्थी एवं समाज के लिए प्रेरणा-पुंज के रूप में काम करे। अपने कार्य व्यवहार से दूसरों को प्रेरित करें।
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