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इंदौर/भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर फंसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ दर्ज मामले में गुरुवार को मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ इंदौर से बाहर दर्ज एफआईआर क्यों न निरस्त कर दी जाए। मामले में उच्च न्यायालय ने शासन से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
दरअसल, सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के विरुद्ध सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक से ज्यादा थानों में एएफआईआर दर्ज की गईं थी। जिसके खिलाफ दिग्विजय सिंह ने एडवोकेट विभोर खंडेलवाल के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में तर्क दिया गया कि यह न्याय का सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ एक ही कृत्य को लेकर अलग-अलग प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट में याचिका दायर में तुकोगंज थाने में दर्ज एफआईआर को छोड़कर शेष एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई थी।
गुरुवार को उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की बेंच में याचिका पर सुनवाई हुई। बहस के दौरान दिग्विजय सिंह की तरफ से तर्क रखे गए कि एक ही कृत्य के लिए एक से ज्यादा एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता के खिलाफ इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में इस मामले में आठ जुलाई को एफआईआर दर्ज हुई थी। दूसरे शहरों में इसके बाद एफआइआर दर्ज हुई हैं, इसलिए उन एफआईआर को निरस्त किया जाए। बहस के बाद कोर्ट ने शासन को इस मामले में नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
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