Advertisement
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आज राज्य भूमि सुधार आयोग द्वारा अपना प्रथम प्रतिवेदन सौंपा गया। इसके लिये श्री चौहान ने आयोग को बधाई दी। यह प्रतिवेदन राज्य में भूदान भूमियों और भूदानधारकों की स्थिति एवं भविष्य की दिशा से संबंधित है। इस मौके पर मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह तथा आयोग के अध्यक्ष श्री आई.एस. दाणी उपस्थित थे।
बताया गया कि आयोग द्वारा भूदान से संबंधित विभिन्न विधियों का अध्ययन किया गया है। साथ ही क्षेत्रीय भ्रमण कर राजस्व अधिकारियों, जन-प्रतिनिधियों और अभिभाषकों से चर्चा कर जानकारी एकत्रित की गई है।
बताया गया कि आचार्य-विनोबा भावे द्वारा वर्ष 1951 में शुरू किए गए भूदान आंदोलन से प्रेरित होकर अनेक बड़े भू-धारियों ने स्वेच्छा से अपनी कृषि भूमि दान में दी। प्रदेश में भूदान के माध्यम से लगभग 31 हजार 500 हेक्टेयर भूमि प्राप्त हुई। इसमें से लगभग 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि का वितरण 15 हजार भूमिहीनों को किया गया।
आयोग द्वारा भूदान से संबंधित डाटाबेस संधारित करने तथा भूदान की अवितरित भूमियों का उपयोग सुनिश्चित करने एवं भू-धारकों से संबंधित कई अनुशंसाएँ की गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आयोग द्वारा सुझाये गये विषयों के संबंध में जरूरी कदम उठाये जायेंगे। प्रतिवेदन प्रस्तुति के दौरान प्रमुख सचिव श्री अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव राजस्व श्री अरूण पाण्डे तथा आयोग के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की शासकीय एवं निजी भूमियों के प्रबंधन से संबंधित बिन्दुओं की समग्र समीक्षा कर राज्य शासन को अनुशंसाएँ प्रस्तुत करने के लिए राज्य भूमि सुधार आयोग का गठन किया गया है।
Kolar News
|
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
Medha Innovation & Development |