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मंदसौर। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी एक जनप्रतिनिधि के तौर पर मंदसौर नहीं आए थे, बल्कि वे सिर्फ झूठ बोलकर किसानों को गुमराह और भ्रमित करने के लिए यहां आए थे। वे ‘ झूठ बोलो, जोर से बोलो और चिल्ला-चिल्ला कर बोलो’ की बात को चरितार्थ करने आए थे और वही करके चले गए। वो यह भूल गए हैं कि उनकी ऐसी ही झूठी बयानबाजी और हरकतों के कारण उन्हें विधानसभा में माफी मांगना पड़ती है और बजट सत्र जैसे महत्वपूर्ण सत्र से निष्कासन भी झेलना पड़ता है।
यह बात मंदसौर से विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता यशपालसिंह सिसोदिया ने गेहूं के समर्थन मूल्य के संबंध में कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी द्वारा किए गए दावों को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कही। उन्होंने कहा कि मंदसौर के किसान सम्मेलन में 3000 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का समर्थन मूल्य किए जाने की बात को लेकर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक जीतू पटवारी ने मेरे नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके द्वारा विधानसभा में रखे गए प्रस्ताव का पहला विरोध मेरे द्वारा किया गया। पटवारी का यह दावा सरासर झूठ है और मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि विधानसभा की कार्यवाही रिकॉर्ड में रहती है और वह संबंधित कार्यवाही का रिकॉर्ड निकलवाकर उसे सार्वजनिक करें।
सिसोदिया ने कहा कि जिस प्रस्ताव की जीतू पटवारी चर्चा कर रहे हैं, ऐसा कोई प्रस्ताव विधानसभा की कार्रवाई में आया ही नहीं है। पटवारी ने ऐसा कोई प्रस्ताव विधानसभा में नहीं रखा। न तो ऐसे किसी प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष ने ग्राह्य किया और न ही वह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बना। विधायक सिसोदिया ने कहा कि उनका यह कथन भी झूठा है कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा उन्हें समझाने लगे और वित्तमंत्री और मंदसौर विधायक उन्हें साइड में ले गए।
झूठ बोलकर कांग्रेस में अलग-थलग पड़े पटवारी
प्रदेश प्रवक्ता सिसोदिया ने कहा कि बजट सत्र के एक माह बाद जीतू पटवारी को मंदसौर आने पर मेरे विरोध की याद क्यों आई? यदि वे किसानों के सच्चे हितैषी थे, तो भोपाल या इंदौर में पत्रकार वार्ता करके भी इस विषय को उठा सकते थे। सिसोदिया ने कहा कि सभी को पता है कि समर्थन मूल्य तय करने का काम केंद्र सरकार का है, राज्य सरकारों का नहीं। ऐसे में पटवारी की यह मांग ही झूठ पर आधारित है। इसीलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस विषय पर पटवारी के साथ खड़े होना जरूरी नहीं समझा है, क्योंकि उन्हें भी पता है कि समर्थन मूल्य बढ़ाने का काम राज्यों का नहीं है। विधायक सिसोदिया ने सवाल किया कि क्या जीतू पटवारी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जहां उनके दल की सरकारें हैं, वहां उन्होंने 3000 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी प्रारंभ करवाई है?
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